भूकंप की तो सोचते तक नहीं घर बनानेवाले अधिकतर लोग, बिना प्लान के बन रहे मकान

गया: नेपाल में आये भूकंप और तबाही ने एक बड़ा सवाल खड़ा कर दिया है. सवाल है घर बनाने से पहले अपनाये जानेवाले मानदंडों व सुरक्षा से जुड़े एतिहातों का. शहर की 80 फीसदी इमारतें, तो यही कह रही हैं कि उन्हें किसी तरह खड़ा कर दिया गया है. सुरक्षा के मानदंडों से उनका कोई […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | May 4, 2015 8:54 AM
गया: नेपाल में आये भूकंप और तबाही ने एक बड़ा सवाल खड़ा कर दिया है. सवाल है घर बनाने से पहले अपनाये जानेवाले मानदंडों व सुरक्षा से जुड़े एतिहातों का. शहर की 80 फीसदी इमारतें, तो यही कह रही हैं कि उन्हें किसी तरह खड़ा कर दिया गया है. सुरक्षा के मानदंडों से उनका कोई वास्ता नहीं. भूकंप के एक जोरदार झटके से वह जमींदोज हो सकती हैं.

आर्किटेक्ट व इंजीनियर भी इस बात की पुष्टि कर रहे हैं. उनकी माने, तो अधिकतर लोग मकान बनाते वक्त सुरक्षा मानकों का ध्यान नहीं रखते. उनका ध्यान सिर्फ बजट व जमीन पर होता है. वे बजट को कम से कम रख कर जमीन का अधिक से अधिक इस्तेमाल कर लेना चाहते हैं. तकनीकी पहलुओं पर ध्यान नहीं दिया जाता. गया के पुराना शहर होने के नाते यहां की अधिकतर इमारतें पुरानी हैं. कुछ एक तो सैकड़ों साल पुरानी हैं.

तकनीक पर ध्यान देना जरूरी
शहर को स्मार्ट सिटी बनाने की पहल कर चूके आर्किटेक्ट प्रशांत सिन्हा के मुताबिक, किसी भी व्यक्ति को मकान या इमारत तैयार करने के पहले बिल्डिंग बाइलॉज का पूरा ध्यान रखना ही चाहिए. लेकिन, अधिकतर लोग इन बातों का कम ही ध्यान रखते हैं. शहर में सामान्य वर्ग द्वारा बनाये जानेवाले मकानों में तो इन बातों को पूरी तरह से नजरअंदाज कर दिया जाता है.
व्यावसायिक इमारत में कराना होता है वेरिफिकेशन: श्री विष्णु बिल्डिकॉन के प्रोपराइटर रवि चौरसिया के अनुसार, व्यावसायिक इमारतों के निर्माण में अधिकतर बातों का ध्यान रखा जाता है, क्योंकि बात ब्रांड व व्यवसाय की है. काम में स्ट्ररर, डिजाइनर व सिविल इंजीनियर आदि कई लोग काम करते हैं. इमारत बनाने का काम फ्रेम वर्क से शुरू होता है. पिलर पर पूरे ढांचे को तैयार किया जाता है. इसके बाद दीवारें बनती हैं. इस प्रक्रिया से इमारत को मजबूती मिलती है. इसके अलावा निर्माण सामग्री में भी क्वालिटी का ध्यान रखा जाता है. उदाहरण के तौर इमारत बनाने के दौरान लचकदार सरिया का इस्तेमाल किया जाता है. बल पड़ने पर यह टूटता नहीं है. लेकिन, निजी स्तर पर मकान बनानेवाले इन बातों का ध्यान नहीं रखते. इन मकानों का सही वेरिफिकेशन भी नहीं होता है.
नयी बिल्डिंग बाइलॉज में कई नये प्रावधान तय किये गये हैं. नक्शा फाइनल तौर पर अब नगर आयुक्त पास करेंगे. किसी भी तरह की गड़बड़ी नहीं हो सकेगी. भूकंपरोधी व अन्य किसी भी नियम का पालन नहीं होने पर मकान मालिक के साथ-साथ आर्किटेक्ट पर भी कानूनी कार्रवाई होगी. यह आर्किटेक्ट की जिम्मेवारी है कि वह समय-समय पर मकानों के निर्माण की जांच करता रहे. पुराने जजर्र मकानों को भी नोटिस किया जा रहा है. वार्ड 18 में एक मकान को तोड़े जाने का आदेश दिया गया है, जबकि शहर के दो हिस्सों में स्थित दो मकानों की मरम्मत कराने को कहा गया है.
डॉ नीलेश देवर, नगर आयुक्त
मिस्त्रीजी ही जानते हैं मकान का सब कुछ !
भूकंपरोधी मकान के बारे में आम आदमी से बात करने पर पता चलता है कि सब कुछ ‘मिस्त्री जी’ से शुरू हुआ और उन पर ही खत्म हो गया. यहां मिस्त्री जी ही आर्किटेक्ट और इंजीनियर होते हैं. मकान के निर्माण में प्रयोग होनेवाली सामग्री से लेकर डिजाइन तक सब ‘मिस्त्री जी’ ही निर्णय लेते हैं. शहर के अधिकतर लोग ऐसे ही मकान बनाते हैं. हालात यह है कि उन्हें सेट बैक, फ्रेम वर्क जैसे मकान निर्माण की तकनीकी जानकारी ही नहीं है. वह बस अपना बजट और सुविधा देखते हैं. हालांकि, नक्शा पास कराने के लिए आर्किटेक्ट अप्रूवल लिया जाता है, लेकिन उसका स्तर क्या होता है, यह शहर के मकानों को देखने से ही पता चलता है.

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