भोग में लीन हो रहा मानव

गया: विदुर जी कौरवों के बीच रह कर भी धर्म के अनुगामी बने रहे. धर्मानुरागी रहे. लेकिन, आज की स्थिति और है. आज हमारे युग का मानव सांसारिक भोग में इतना लीन हो जाता है कि अपने परमपिता परमात्मा को भूल जाता है. ठीक इसी तरह की हालत कभी धृतराष्ट्र की थी. सोमवार को यहां […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | September 10, 2013 8:08 AM

गया: विदुर जी कौरवों के बीच रह कर भी धर्म के अनुगामी बने रहे. धर्मानुरागी रहे. लेकिन, आज की स्थिति और है. आज हमारे युग का मानव सांसारिक भोग में इतना लीन हो जाता है कि अपने परमपिता परमात्मा को भूल जाता है.

ठीक इसी तरह की हालत कभी धृतराष्ट्र की थी. सोमवार को यहां गांधी मैदान में प्रवचन करते हुए साध्वी सुश्री विश्वंभरा भारती ने उक्त बातें कहीं.

उन्होंने कहा कि वर्तमान समाज विदुर जी को प्रेरणा श्रोत बना सकता है. पर, वह ऐसा नहीं करना चाहता. वह विदुर जी की जगह पर धृतराष्ट्र का अनुगामी होता दिखाई दे रहा है. राजनीति के क्षेत्र में राज्य संपदा कभी भी किसी धर्म विहीन पुरुष को नहीं दी जाती थी. साध्वी ने कहा कि हमारी बुद्धि ऊध्र्वमुखी होनी चाहिए, अधोमुखी नहीं. सुश्री भारती ने कहा कि मनुष्य को हमेशा परमात्मा को याद रखना चाहिए, कभी भूलना नहीं चाहिए.

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