आठवीं अनुसूची में हो मगही

गया : मगही बोलनेवालों की संख्या सबसे अधिक है. इसके बाद भी यह अब तक उपेक्षित है. ये बातें कुलपति डॉ नंदजी कुमार ने मगध विश्वविद्यालय के स्नातकोत्तर मगही विभाग के तत्वावधान में आयोजित तीसरे स्थापना दिवस समारोह को संबोधित करते हुए कहीं. उन्होंने समारोह का दीप जला कर उद्घाटन किया. इस अवसर पर मगही […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | September 11, 2013 3:40 AM

गया : मगही बोलनेवालों की संख्या सबसे अधिक है. इसके बाद भी यह अब तक उपेक्षित है. ये बातें कुलपति डॉ नंदजी कुमार ने मगध विश्वविद्यालय के स्नातकोत्तर मगही विभाग के तत्वावधान में आयोजित तीसरे स्थापना दिवस समारोह को संबोधित करते हुए कहीं.

उन्होंने समारोह का दीप जला कर उद्घाटन किया. इस अवसर पर मगही के 11 साहित्यकारों को सम्मानित भी किया गया. उन्होंने मगही के विकास के लिए हर संभव सहयोग करने का आश्वासन दिया.

मगही के भारतेंदु के नाम से चर्चित मगही अकादमी के पूर्व अध्यक्ष डॉ राम प्रसाद सिंह ने सभा को संबोधित करते हुए कहा कि मगही बोलनेवालों की संख्या सबसे अधिक रहने के बाद भी संविधान की आठवीं अनुसूची में उसे शामिल नहीं किया जा सका है. इसके लिए बहुत लड़ाई लड़ी गयी है. अब हमारा अंतिम उद्देश्य इसे संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल कराना है.

उन्होंने कहा कि लोक भाषा मरने के बाद वहां की संस्कृति भी मर जाती है. उन्होंने बताया कि मगही बिहार के अलावा आगरा मेरठ में भी बोली जाती है. इस भाषा का अब भी पर्याप्त विकास नहीं हो सका है. इस दिशा में मगही अकादमी भी कोई विशेष काम नहीं कर रही. डॉ राजदेव शर्मा ने कहा कि जिस साहित्य में धर्म, दर्शन, अध्यात्म संस्कृति की चर्चा हो, वह साहित्य नहीं हो सकता है.

उन्होंने मगही में किये गये कार्यो की सराहना करते हुए कहा कि दलित रामायण, दलित भागवत, नवधा भक्ति आदि पर भी काम किया गया है. मगही अकादमी के अध्यक्ष उदय शंकर शर्मा ने कहा कि मगह क्षेत्र के लोग अब जाग चुके हैं. मगही में पर्याप्त रचनाएं हो रही हैं. अब इसका विकास दूर नहीं.

उन्होंने इसमें हर संभव सहयोग करने का आश्वासन दिया. गोवर्धन प्रसाद सदय ने कहा कि मगही के विकास के लिए बोलचाल की भाषा अपनानी होगी. मगही साहित्य कैथी भाषा में भी लिखी गयी है. इसलिए इसका भी अनुसंधान करने की आवश्यकता है.

स्नातकोत्तर हिंदी विभागाध्यक्ष डॉ वंशीधर लाल ने कहा कि किसी भी भाषा का विकास सरकारी संरक्षण, प्रचारप्रसार बोलनेवालों की संख्या, लेखक कवि पर निर्भर करता है. पूरे संसार में छह हजार भाषाएं हैं. बहुत सारी लिपियां समाप्त हो चुकी हैं. मगही, मैथिली भोजपुरी सभी हिंदी के ही अंग हैं.

उन्होंने मगही विभाग का सहयोग नहीं मिलने पर चिंता भी जतायी. इस अवसर पर सभी मगही साहित्यकारों को प्रशस्ति पत्र अंग वस्त्र देकर सम्मानित किया गया. इनके अलावा कुलपति डॉ नंदजी कुमार, डॉ राम प्रसाद सिंह, गोवर्धन प्रसाद सदय, डॉ राजदेव शर्मा, मानविकी संकायाध्यक्ष डॉ वंशीधर लाल, वाणिज्य संकायाध्यक्ष डॉ बीके डे, मगही अकादमी के अध्यक्ष उदय शंकर शर्मा, मगही के रचनाकार मिथिलेश कुमार सहित अन्य लोगों को भी बुके अंग वस्त्र देकर सम्मानित किया गया. इस अवसर पर मगही साहित्य की प्रकाशित रचनाओं का बुक स्टॉल भी लगाया गया था.

Next Article

Exit mobile version