शिशु रोग विशेषज्ञ व डेंटिस्ट भी नहीं
गया: 3,200 रेल कर्मचारियों के करीब 15,000 परिजनों (परिवार के सदस्य) की सेहत गया स्थित अनुमंडलीय रेल हॉस्पिटल पर निर्भर है. लेकिन, अस्पताल में मौजूद सुविधाएं व संसाधन इनका भार ढोने में सक्षम नहीं है. अस्पताल में प्रसव की सुविधा है, तो अल्ट्रासोनोग्राफी, हेपेटाइटिस व एचआइवी जांच की सुविधा नदारद है. नवजात व अन्य बच्चों […]
चीफ मेडिकल सुपरिटेंडेंट डॉ डीके सहाय (पीजी डिप्लोमा इएनटी) व डॉ धनंजय कुमार (पीजी डिप्लोमा इन गायनोकोलॉजी) के अलावा अन्य सभी डॉक्टर एमबीबीएस हैं. हर रोज ओपीडी में औसतन 100 से अधिक रेल कर्मचारी व उनके परिजन इलाज के लिए आते हैं, लेकिन पर्याप्त सुविधाएं उपलब्ध नहीं रहने के कारण, उन्हें विशेष इलाज के लिए डिवीजनल रेल अस्पताल, मुगलसराय या जोनल रेल अस्पताल, पटना जाना पड़ता है. हालांकि, ज्यादातर मरीजों को गया के मगध मेडिकल अस्पताल में रेफर कर दिया जाता है. अस्पताल में शिशु रोग विशेषज्ञ, सजर्न, डेंटल डॉक्टर व एनेस्थेटिक की पोस्टिंग कर दी जाये, तो कुछ हद तक रेल कर्मचारियों की समस्याएं दूर हो सकती हैं. इसी प्रकार अल्ट्रासोनोग्राफी की सख्त आवश्यकता है. 46 बेडवाले इस अस्पताल में पांच वार्ड बने हैं. मेडिसिन मेल वार्ड में 20 बेड, मेडिसिन फिमेल वार्ड में 10 बेड, सजर्री वार्ड में छह बेड, मेटरनिटी वार्ड में छह बेड व आइसोलेटेड वार्ड में दो बेड हैं. लेकिन, ज्यादातर बेड खाली ही रहते हैं. अस्पताल में सिर्फ एक्स-रे व पैथोलॉजिकल जांच की ही सुविधा है. इनमें हेपेटाइटिस व एचआइवी जांच शामिल नहीं है. दवाओं की सुविधा उपलब्ध है. ओपीडी व इनडोर में 100 प्रकार की दवाएं उपलब्ध हैं. आवश्यकता पड़ने पर मरीजों को दवा खरीद कर दी जाती है.