बस टिकट चाहिए, पार्टी कोई भी हो

अमौर विधान सभा क्षेत्र विकास के मामले में पिछड़ा हुआ है. इस इलाके से कनकई, परमान, दास एवं बकरा ये चार नदियां गुजरती हैं. ये ही यहां के लोगों की किस्मत लिखती हैं. नये परिसीमन के बाद अमौर किशनगंज लोकसभा क्षेत्र का हिस्सा हो गया है. यह अल्पसंख्यक बहुल क्षेत्र है और अब तक यहां […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | August 4, 2015 1:17 AM

अमौर विधान सभा क्षेत्र विकास के मामले में पिछड़ा हुआ है. इस इलाके से कनकई, परमान, दास एवं बकरा ये चार नदियां गुजरती हैं. ये ही यहां के लोगों की किस्मत लिखती हैं. नये परिसीमन के बाद अमौर किशनगंज लोकसभा क्षेत्र का हिस्सा हो गया है. यह अल्पसंख्यक बहुल क्षेत्र है और अब तक यहां से अल्पसंख्यक उम्मीदवार ही जीतते रहे हैं. भले पर्टियां अलग-अलग रही हों. भाजपा को इस सीट पर पहली बार वर्ष 2010 में सफलता मिली. उसके उम्मीदवार सबा जफर ने 46.33 प्रतिशत वोट हासिल कर कांग्रेस प्रत्याशी जलील मस्मान को हराया. यह माना जा रहा ह कि 2015 के विधानसभा चुनाव में मुख्य मुकबला भाजपा और महागंठबंधन के ही बीच होगा.

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