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बदहाल है सीताकुंड वेदी

पितृपक्ष. पिंडवेदियों को दुरुस्त करने पर जिला प्रशासन की नजर नहीं गया : विश्व प्रसिद्ध पितृपक्ष मेला आगामी 27 सितंबर से शुरू होनेवाला है, परंतु जिला प्रशासन अब भी इसके लिए पूरी तरह से तैयार नहीं है. समय का अभाव है. काम में तेजी लाने की जरूरत है. इसके बावजूद जिला प्रशासन न तो पिंडवेदियों […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | September 11, 2015 8:26 AM
पितृपक्ष. पिंडवेदियों को दुरुस्त करने पर जिला प्रशासन की नजर नहीं
गया : विश्व प्रसिद्ध पितृपक्ष मेला आगामी 27 सितंबर से शुरू होनेवाला है, परंतु जिला प्रशासन अब भी इसके लिए पूरी तरह से तैयार नहीं है. समय का अभाव है. काम में तेजी लाने की जरूरत है. इसके बावजूद जिला प्रशासन न तो पिंडवेदियों की साफ-सफाई नजर रख रहा है और न ही बिजली व पानी की व्यवस्था पर.
शहर की पिंडवेदियों पर नजर डालें, तो सीताकुंड वेदी पर अब तक उपेक्षित ही है. ऐसी मान्यता है कि यहां पर बालू का पिंड दिये बगैर पितरों को मुक्ति नहीं मिलती है. इस कारण पितृपक्ष में बड़ी संख्या में पिंडदानी सीताकुंड आते हैं.
पानी व बिजली की सुविधा नहीं : सीताकुंड मंदिर के पुजारी मानिका बाबा ने बताया कि यहां बिजली-पानी तक की सुविधा नहीं है. पानी टंकी तो बनायी गयी है, लेकिन इसमें पानी भरने की सुविधा नहीं है. मंदिर के पास एकमात्र चापाकल है, जिससे लोग पानी भरते हैं. आसपास के लोगों ने बताया कि पिंडवेदियों की पूजा करने के लिए लिए पास के गांव से पानी लाते हैं.
मंदिर व आवासन की स्थिति ठीक नहीं : पुजारियों ने बताया कि सीताकुंड के मंदिर व आवासन काफी जर्जर स्थिति में हैं. भवन कब ध्वस्त हो जायें, यह कहा नहीं जा सकता है. कई आवासनों की छतें टूट गिर चुकी हैं. लोगों ने डर के मारे इन आवासनों में जाना ही छोड़ दिया है.
इन आवासनों की मरम्मत के लिए कई बार जिला प्रशासन से गुहार लगायी गयी, लेकिन आवेदन लेने के बाद अधिकारी भूल जाते हैं.
साल में 15 दिन ही मिलती है सुविधा : मंदिर के पुजारी मानिका बाबा, दिनेश कुमार पांडेय व राजीव कुमार समेत गांववालों ने बताया कि सीताकुंड में बेहतर सुविधा साल में सिर्फ 15 दिन (पितृपक्ष) ही मिलती है. पितृपक्ष के बाद न तो अधिकारी अौर न ही कोई जनप्रतिनिधि उनकी सुध लेने आते हैं. वे लोग फिर से सामान्य जिंदगी जीने लगते हैं.

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