लिंग निरपेक्षता को लेकर अनपढ़ व पढ़े-लिखे लोग, दोनों ही समान रूप से नकारात्मक हैं. घरों से लेकर सड़कों तक विभिन्न रूपों में लिंग हिंसा की शिकार औरतें अस्तित्व की लड़ाइ लड़ रही हैं. इस व्यवस्था को बदलने व समाज के लोगों की सोच में परिवर्तन लाने के ही उद्देश्य से वह इस यात्रा पर निकले हैं. इससे वह जेंडर फ्रीडम का संदेश देना चाहते हैं.
पीड़ित लड़कियों की बातों को सुनने के बाद उन्होंने निर्णय लिया कि वह इसके खिलाफ साइकिल यात्रा करेंगे. इस दौरान लोगों से मिलेंगे. 15 मार्च, 2014 को उन्होंने चेन्नई से अपने सफर की शुरुआत की. तमिलनाडु, पॉडिचेरी, केरल, कर्नाटक, तेलंगाना, आंध्रप्रदेश व ओडिशा होते हुए वह इस साल अगस्त में बिहार पहुंचे हैं. पटना, आरा, बक्सर, रोहतास, औरंगाबाद होते राकेश अब गया में हैं. उन्होंने बताया कि अभी वह कुछ दिन यहां रुकेंगे. यहां के लोगों से मिलेंगे. अपनी बातें व विचार साझा करेंगे. इसके बाद वह आगे की यात्रा पर निकल जायेंगे. उनकी यह यात्रा 2017 में दिल्ली में समाप्त होगी.