गया/बाराचट्टी: महिलाएं परिवार की आधार स्तंभ होती हैं. वह प्रेरणास्नेत रही हैं. इनमें संचय की क्षमता होती है, जिससे घर संवरता है. बाराचट्टी प्रखंड की सुदूर पंचायत विंदा के पिपरहिया-सलेमपुर व खैरात-गंगुआर गांव महादलित महिलाओं ने कुछ ऐसा कर दिखाया कि यह सभी के लिए अनुकरणीय है.
किस्सा शुरू होता है, कोलकाता की आइजीएसएस संस्था की टीम के दौरे से. पिछले साल टीम के सदस्यों ने गांव का हाल जाना. उन्होंने पाया कि यहां के लोग भूमिहीन हैं. मजदूरी एकमात्र साधन है. कर्ज से दबे रहते हैं. सलेमपुर गांव का एकमात्र लड़का परमेश्वर कुमार अब तक मैट्रिक पास कर सका है. संस्था के सदस्यों ने दोनों गांवों की महिलाओं को जमा कर अनाज (ग्रेन) बैंक बनाने के टिप्स दिये.
सलाह पर किया अमल
महिलाएं एकजुट हुईं और ग्रेन बैंक बनाने का काम शुरू किया. दोनों गांवों में महिलाओं की एक-एक कमेटी बनायी. कमेटी में 45-45 महिलाएं हैं. तय हुआ कि गांव के हर घर से हर महीने पांच किलो चावल लेकर ग्रेन (अनाज) बैंक में जमा किया जायेगा. इसे भुखमरी, शादी-विवाह, श्रद्धकर्म व छठी के मौके पर जरूरतमंदों को दिया जायेगा. इसके लिए अनाज लेने वाले को छह महीने तक प्रति किलो 250 ग्राम व छह महीने के बाद आधा किलो प्रति किलो चावल ब्याज के तौर पर जमा करना होगा.
बनायी निरीक्षण कमेटी भी
जरूरतमंदों को अनाज देने के लिए एक निरीक्षण कमेटी बनायी गयी है, जो वस्तुस्थिति की जांच कर रजिस्टर मेंटेन कर अनाज देती है. कमेटी के पास स्टॉक रजिस्टर व ब्याज रजिस्टर भी है. अनाज के भंडारण के लिए महिलाओं ने तीन-तीन क्विंटल क्षमता वाला पांच ड्रम खरीदा है. अनाज के भंडारण के लिए कृषि अधिकारी व कृषि विज्ञानी से जानकारी भी ले रही हैं.
महाजन से मिला छुटकारा
इस ग्रेन बैंक से गांव व आस-पास के गरीबों को फायदा हुआ तथा महाजनों से मुक्ति मिली है. सलेमपुर में बनायी गयी कमेटी की अध्यक्ष दुखनी देवी, सचिव क्रांति देवी, कोषाध्यक्ष रंजू देवी व खैरात-गंगुआर गांव की कमेटी की अध्यक्ष रेणु देवी, सचिव लालो देवी व कोषाध्यक्ष गीता देवी को बनाया गया. कमेटी के लोगों ने बताया कि सभी का सहयोग मिल रहा है. इतना ही नहीं अपने घर के मर्दो को नशा करने से मना करती है. इन दोनों गांवों की दूरी छह किलोमीटर है. बीच-बीच में बाराचट्टी के एक समाजसेवी छेदी मंडल गांव में जाकर विकास विहीन व महादलितों की इस बस्ती को आदर्श बनाने के लिए पुरुषों को प्रेरित करते रहते हैं. श्रमदान से गांव में नाली, सड़क बनाने के साथ बच्चों को शिक्षित करने को प्रेरित कर रहे हैं.
क्या कहते हैं बीडीओ
बाराचट्टी प्रखंड के बीडीओ नंदलाल चौधरी ने बताया कि इसकी जानकारी उन्हें भी मिली है. उनके प्रखंड में लोग ऐसे जागरूक हो रहे हैं और सकारात्मक काम में लगे हैं. यह जानकार बहुत खुशी हुई. हालांकि गांव के लोगों ने अब तक कोई मिल कर इस बारे में उनसे सहयोग नहीं मांगा. सहयोग मांगने पर हर संभव मदद करेंगे.