गांववाले करेंगे सरस्वती मंदिर का कायाकल्प

गांववाले करेंगे सरस्वती मंदिर का कायाकल्पमंदिर से गणेश की मूर्ति चोरी होने के बाद कई गांवों के लोगों ने की बैठकचहारदीवारी व मंदिर को चकाचक करने के लिए बनायी गयी एक कमेटी फोटो-बोधगया 06- सरस्वती मंदिर के समीप बैठक करते कई गांव के लोग व बोधगया थाने के इंस्पेक्टरफोटो- बोधगया 07–मंदिर में स्थापित मां सरस्वती […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | October 31, 2015 10:42 PM

गांववाले करेंगे सरस्वती मंदिर का कायाकल्पमंदिर से गणेश की मूर्ति चोरी होने के बाद कई गांवों के लोगों ने की बैठकचहारदीवारी व मंदिर को चकाचक करने के लिए बनायी गयी एक कमेटी फोटो-बोधगया 06- सरस्वती मंदिर के समीप बैठक करते कई गांव के लोग व बोधगया थाने के इंस्पेक्टरफोटो- बोधगया 07–मंदिर में स्थापित मां सरस्वती की मूर्ति, जिसे चोरों ने किया था उखाड़ने का प्रयास संवाददाता, बोधगयामुहाने नदी के कछार पर स्थित मां सरस्वती की मंदिर का जीर्णोद्धार करने का बीड़ा ग्रामीणों ने उठाया है. गुरुवार की रात सरस्वती मंदिर से गणेश की मूर्ति की चोरी होने व मां सरस्वती की आदमकद मूर्ति की चोरी करने के प्रयास के बाद कई गांववालों ने शनिवार को मंदिर परिसर में एक बैठक की. इसमें गंगाबिगहा, रत्तीबिगहा, बकरौर, अमवां, अमवां ठोकर, बोधगया, मनकोसी, मोराटाल, परेवा, लारपुर व अन्य गांवों के सैकड़ों लोग शामिल हुए. शनिवार से ही चंदा जमा कर मंदिर परिसर को दुरुस्त करने का काम शुरू कर दिया गया. बोधगया थाने के इंस्पेक्टर नरेश कुमार की मौजूदगी में हुई बैठक में निर्णय लिया गया कि उपेक्षा का शिकार हो चुके प्राचीन सरस्वती मंदिर का जीर्णोद्धार कराया जाये. इसके लिए मां सरस्वती मंदिर विकास समिति का गठन किया गया. 11 सदस्यीय कमेटी का अध्यक्ष अमवां गांव के नंदकिशोर प्रसाद उर्फ बबलू, सचिव बोधगया के अभिषेक राय व कोषाध्यक्ष बकरौर पंचायत के पैक्स अध्यक्ष राजेश कुमार को बनाया गया. समिति में कई अन्य के लोगों को भी रखा गया है. इस संदर्भ में बोधगया थाने के इंस्पेक्टर ने बताया कि गांववालों के सहयोग से सरस्वती मंदिर का जीर्णोद्धार व चहारदीवारी भी बनायी जायेगी. इसके लिए श्रद्धालुओं से चंदा भी जमा कराया जायेगा. साथ ही, मंदिर की करीब 11 एकड़ से ज्यादा जमीन पर फूलों की खेती करायी जायेगी. बैठक में मौजूद बोधगया के सीओ शैलेंद्र कुमार को सरस्वती मंदिर की जमीन की मापी कराने व अतिक्रमित जमीन को मुक्त कराने की जिम्मेवारी दी गयी. उल्लेखनीय है कि सरस्वती मंदिर क्षेत्र में ही मुहाने व निरंजना नदी का मिलन होता है. इसके बाद यह नदी फल्गु के नाम से जानी जाती है. पितृपक्ष में सरस्वती मंदिर के समीप नदी में तर्पण करने का विधान है. हालांकि, प्रशासनिक उपेक्षा के कारण अब तक बोधगया से सरस्वती तक पहुंचने के लिए पक्की सड़क का निर्माण नहीं कराया जा सका है. यहां सोमवारी अमावस्या पर मेला लगता है. आसपास के हजारों श्रद्धालु मंदिर पूजा-अर्चना के लिए आते हैं. जानकारी के अनुसार, चार-पांच साल पहले भी मंदिर में स्थापित मां सरस्वती की मूर्ति की चोरी करने का प्रयास किया गया था. चोरों ने मूर्ति को मंदिर से बाहर भी निकाल लिया था, लेकिन, सुबह हो जाने के कारण उसे नदी में ही बालू से ढंक दिया था. खोजबीन के बाद मां सरस्वती की मूर्ति को पुन: मंदिर में स्थापित किया गया था.

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