कभी रहती थी रौनक, अब सन्नाटाफाइल फोटाे- महाबोधि मंदिरफ्लैग- कालचक्र पूजा रद्द होने का बोधगया में दिखने लगा असर होटल से लेकर टूर एंड ट्रैवल्स ऑपरेटरों तक में व्याप्त निराशा पर्यटन सीजन का इंतजार कर रहे व्यवसायियों लगा झटका संवाददाता, बोधगयाहर साल अक्तूबर से मार्च तक बोधगया के पर्यटन सीजन के इंतजार में टकटकी लगाये व्यवसायियों को कालचक्र पूजा का रद्द होना अब महंगा पड़ने लगा है. जनवरी में आयोजित होनेवाली कालचक्र पूजा के रद्द होने के बाद बोधगया में देशी-विदेशी सैलानियों के साथ-साथ बौद्ध श्रद्धालुओं की आवाजाही काफी कम हो गयी है. इसका सीधा असर यहां के होटलों, रेस्टोरेंट व टूर एंड ट्रैवल्स एजेंसियों पर पड़ने लगा है. ये लोग अब ग्राहकों के इंतजार में दिन काटने शुरू कर चुके हैं. होटलों के कमरे खाली हैं. यात्रियों को बोधगया, राजगीर व नालंदा व अन्य बुद्धिष्ट सेक्टरों का भ्रमण करानेवाले टूर ऑपरेटर भी निढाल दिख रहे हैं. होटल एसोसिएशन बोधगया के महासचिव संजय कुमार सिंह की मानें, तो जनवरी में होनेवाली कालचक्र पूजा के आयोजन होने की खबर से बोधगया में जुटनेवाली बौद्ध लामा व श्रद्धालुओं की भीड़ को देखते हुए अन्य सैलानियों व श्रद्धालुओं ने बोधगया भ्रमण का प्लान बदल दिया था. इस कारण ज्यादातर होटल मालिकों व टूर ऑपरेटरों ने जनवरी माह की बुकिंग नहीं ली. अब पूजा के रद्द होने की सूचना के बाद सैलानी व अन्य श्रद्धालु अचानक बोधगया के भ्रमण का प्लान नहीं बना सकते हैं. इस कारण इस पर्यटन सीजन में फिलहाल बोधगया में बौद्ध श्रद्धालुओं व सैलानियों की संख्या कम दिख रही है. उन्होंने बताया कि थाइलैंड, म्यांमार व श्रीलंका के श्रद्धालुओं को ज्यादातर आवासन बौद्ध मठों में ही करा दिया जा रहा है. इस कारण होटलों में भीड़ कम है. वाहन मालिकों को भी नुकसान कालचक्र पूजा के आयोजन की खबर के बाद बोधगया में काफी संख्या में नये वाहनों की खरीदारी हुई थी. लोगों ने बैंकों से ऋण लेकर नयी गाड़ियां खरीदीं. पूर्व के वर्षों में अक्तूबर-नवंबर से ही बोधगया में बौद्ध श्रद्धालुओं की भीड़ जुटनी शुरू हो जाती थी. साथ ही, इस साल कालचक्र पूजा के आयोजन के दौरान पहुंचनेवाली चार-पांच लाख लोगों की भीड़ को देखते हुए उन्हें भ्रमण कराने के लिए यहां गाड़ियों की संख्या भी बढ़ गयी थी. लेकिन, अब यात्रियों की संख्या को देखने से यह अनुमान लगाया जाने लगा है कि इस वर्ष पर्यटन सीजन काफी नुकसानदायक होगा. टूर एंड ट्रैवल्स एसोसिएशन के अध्यक्ष सुरेश सिंह ने बताया कि यात्रियों की संख्या कम होने के कारण टूर एंड ट्रैवल्स एजेंसियों को भी नुकसान होने लगा है. कई लोगों ने तो अपने वाहन बेचने भी शुरू कर दिये हैं. जो यात्रियों पहुंच भी रहे हैं, उन्हें बौद्ध मठों द्वारा वाहनों की सुविधा मुहैया करायी जा रही है. उन्होंने बताया कि यात्रियों की कम संख्या का असर फुटपाथी दुकानदारों के अलावा फल व सब्जी बेचनेवालों पर भी पड़ेगा. बोधगया में पर्यटकों पर आश्रित अन्य व्यवसायों से जुड़े लोगों का भी मानना है कि इस वर्ष का पर्यटन सीजन काफी फीका रहनेवाला है. उम्मीद से काफी कम संख्या में यात्रियों के आने की संभावना है.
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कभी रहती थी रौनक, अब सन्नाटा
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