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बिहार में एक स्कूल ऐसा भी, दो शिक्षक के भरोसे आठ कक्षाओं में पढ़ रहे 600 बच्चे

राजकीय अभ्यास बुनियादी विद्यालय शेरघाटी शहर के बीचों-बीच स्थित है. इसके बावजूद राजकीय अभ्यास बुनियादी विद्यालय की स्थिति खराब है. गरीब वर्ग के बच्चे जो ट्यूशन-कोचिंग नहीं ले सकते उन्हें काफी मुश्किल हो रही

नवीन कुमार मिश्रा, शेरघाटी. गया जिला के शेरघाटी शहर के बीचों-बीच राजकीय अभ्यास बुनियादी विद्यालय में महज दो शिक्षकों के भरोसे आठ कक्षाएं चल रही हैं. यहां करीब 600 छात्र-छात्राएं पढ़ाई करते हैं. नतीजतन शिक्षक तो परेशान है ही, छात्र-छात्राओं को भी पठन-पाठन में परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. इसको लेकर अभिभावकों में भी नाराजगी देखने को मिल रही है.

अभिभावक सत्येंद्र प्रसाद गुप्ता, श्रवण कुमार, उदय प्रसाद आदि का कहना है कि स्कूल में शिक्षक के नहीं रहने के कारण काफी बच्चे नियमित नहीं जाते हैं. नामांकन के बाद बच्चे ट्यूशन-कोचिंग पर निर्भर रहते हैं. सरकारी विद्यालयों की दशा देखकर ऐसा महसूस होता है कि यहां की व्यवस्था कभी सुधरने वाली नहीं है.

अभिभावकों ने कहा कि शिक्षकों की कमी के कारण गरीब वर्ग के बच्चों को काफी मुश्किल होती है. वैसे अभिभावक ट्यूशन- कोचिंग भी अपने बच्चों को करवाने में सक्षम नहीं हैं. उन्होंने कहा कि इस विद्यालय में शिक्षकों की कमी वर्षों से बनी हुई है. कभी एक-दो शिक्षकों की प्रतिनियुक्ति अधिकारियों के द्वारा अगर की जाती है, तो छह महीने, साल भर के बाद वे पुनः अपने विद्यालय चले जाते हैं. नियमित रूप से विद्यालय में शिक्षकों की पोस्टिंग वर्षों से नहीं हुई है. ऐसे में गरीब व निर्धन परिवार के छात्रों की पढ़ाई कैसे पूरी होगी, यह सवाल अभिभावकों के मन में हमेशा से चलता रहता है.

एक ही क्लास में दो-तीन कक्षाओं के छात्रों की होती है पढ़ाई

अभिभावक बताते हैं कि हर एक कमरे में दो या तीन कक्षाओं के बच्चे एक साथ बैठ कर पढ़ते हैं. ऐसे में अंदाजा लगाया जा सकता है कि किस तरह की पढ़ाई हो रही है. यहां पढ़ाई के नाम पर औपचारिकताएं पूरी की जा रही हैं. छात्रों की माने तो एक ही रूम में दो-तीन कक्षाओं के चलने से पढ़ने में बहुत समस्या होती है. न कुछ समझ में आता है और न अपनी पढ़ाई पूरी कर पाते हैं. आठवीं कक्षा की सोनाली कुमारी, सौम्या, अमित व प्रिंस आदि ने बताया कि शिक्षकों की कमी के कारण हम लोगों का सिलेबस कभी पूरा नहीं होता. काफी बच्चे रोज स्कूल भी नहीं आते हैं.

विद्यालय में हैं नौ कमरे

600 बच्चों को पढ़ने के लिए विद्यालय में नौ कमरे हैं. इसमें एक कार्यालय व एक कंप्यूटर लैब के लिए इंगेज रहता है, जबकि बच्चों के अनुपात के हिसाब से यहां 15 कमरों की आवश्यकता है. लेकिन, सात कमरों में ही किसी प्रकार छात्रों की पढ़ाई करवायी जा रही है.

मानक के हिसाब से 40 छात्रों पर होना चाहिए एक शिक्षक

सरकार के नियमों के अनुसार 40 छात्र-छात्राओं को पढ़ने के लिए एक शिक्षक अनिवार्य है. लेकिन, राजकीय अभ्यास बुनियादी विद्यालय शेरघाटी में 600 छात्रों को पढ़ने के लिए दो शिक्षकों की पोस्टिंग है. इसमें एक शिक्षिका मंजू कुमारी प्रभारी हैं. प्रभारी को ऑफिस के कार्य भी देखना होता है. कई बार बीआरसी आदि स्थानों पर बैठक में भी भाग लेने के लिए जाना पड़ता है. दोनों शिक्षकों को हर कमरों में घूम-घूम कर पढ़ाना पड़ता है.

इस संबंध में कई बार प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी को बताया गया है. स्कूल में शिक्षकों को कमी है, जिससे बच्चों को पढ़ाई में दिक्कत हो रही है. प्रभारी प्रधानाध्यापिका मंजू कुमारी ने बताया कि काफी हद तक टोला सेवकों से पढ़ाई-लिखाई के लिए मदद ली जाती है. तब जाकर कुछ हद तक बच्चे भी पढ़ाई कर पाते हैं और हम लोगों को भी सहयोग मिलता है.

विद्यालय के शौचालय का स्थित है काफी जर्जर

विद्यालय में स्थित शौचालय की हालात काफी जर्जर है. शौचालय के चारों ओर घास और झाड़ उग आये हैं. दरवाजे भी जर्जर हो चुके हैं. बच्चों ने बताया शौचालय में हमेशा ताला बंद रहता है. पानी की व्यवस्था नहीं रहने के कारण इसका इस्तेमाल नहीं होता है. ऐसे में अंदाजा लगाया जा सकता है कि यहां पढ़ने वाले छात्र-छात्राओं को कितनी परेशानी होती होगी.

कहती है प्रभारी शिक्षिका

प्रभारी शिक्षिका मंजू कुमारी ने बताया कि विद्यालय में शिक्षकों की कमी है. इससे अधिकारी अवगत हैं. बावजूद यहां शिक्षकों की पोस्टिंग अब तक नहीं हुई है. समय-समय पर दूसरे स्कूल से शिक्षक प्रतिनियुक्त किये जाते हैं, लेकिन दो-चार महीना के बाद वे पुनः मूल विद्यालय में चले जाते हैं. इसकी वजह से छात्रों की पढ़ाई लिखाई प्रभावित होती है. हम लोग दो शिक्षक एवं पांच टोला सेवक के मिलकर बच्चों की पढ़ाई पूरा करने का प्रयास करते हैं.

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