पितामहेश्वर घाट की बदलेगी सूरत : डीएम

गया: छठ पर्व में गया शहर के पितामहेश्वर नदी घाट पर उगते सूर्य को अर्घ देने के लिए उमड़ने वाली भीड़ को देख कर डीएम संजय कुमार अग्रवाल ने इस घाट का कायाकल्प करने पर मंथन शुरू कर दिया है. पितामहेश्वर घाट के जीर्णोद्धार के लिए डीएम की प्लानिंग अगर धरातल पर उतरी, तो अगले […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | November 19, 2015 8:09 AM
गया: छठ पर्व में गया शहर के पितामहेश्वर नदी घाट पर उगते सूर्य को अर्घ देने के लिए उमड़ने वाली भीड़ को देख कर डीएम संजय कुमार अग्रवाल ने इस घाट का कायाकल्प करने पर मंथन शुरू कर दिया है. पितामहेश्वर घाट के जीर्णोद्धार के लिए डीएम की प्लानिंग अगर धरातल पर उतरी, तो अगले वर्ष यहां अर्घ देने के लिए पहुंचने वाले छठव्रतियों व श्रद्धालुओं को आने-जाने में कोई परेशानी नहीं होगी.
डीएम ने बुधवार की शाम प्रभात खबर को बताया कि छठव्रतियों को अर्घ देने के लिए शहरी घाटों तक आने-जाने में कोई परेशानी नहीं हो, इसका वह खुद जायजा ले रहे थे. बुधवार की सुबह छठव्रतियों व श्रद्धालुओं की भीड़ को देखने के बाद एहसास हुआ कि पितामहेश्वर घाट तक जानेवाला रास्ता काफी संकीर्ण है. इससे छठव्रतियों को काफी असुविधा होती है. पितामहेश्वर घाट से जुड़े सभी रास्तों को और चौड़ा करने की जरूरत है.
छठ को लेकर किये गये प्रयोग रहे सफल : डीएम ने बताया कि छठ महापर्व में लोगों को ट्रैफिक व सुरक्षा से संबंधित कोई असुविधा नहीं हो, इस बाबत कुछ नये प्रयोग किये गये थे. शहरी इलाके को तीन जोन में बांटा गया था. शहर में 35 सेक्टर मजिस्ट्रेट व 80 स्टैटिक मजिस्ट्रेट के अलावा पर्याप्त संख्या में पुलिस पदाधिकारियों व सिपाहियों की तैनाती की गयी थी. जिला नियंत्रण कक्ष से 24 घंटे पूरे इलाके पर नजर रखी जा रही थी.
साफ पानी उपलब्ध कराना था प्राथमिकता : डीएम ने बताया कि मौसम के मिजाज को भांपते हुए इस बार छठ के पहले ही अनुमान लग गया था कि फल्गु नदी में पानी नहीं रहेगा. छठव्रतियों के लिए साफ पानी का इंतजाम करना भी एक चुनौती थी. इसके लिए फल्गु नदी में 70 कुंड खोदे गये थे. साथ ही, कई स्थानों पर झरने की भी व्यवस्था की गयी थी. इससे छठव्रतियों व उनके परिजनों को काफी सहूलियत हुई. डीएम ने बताया कि फल्गु नदी में कई स्थानों पर नालों का पानी गिरता है. छठव्रतियों को नालों के गंदे पानी से होकर घाट तक नहीं जाना पड़े, इसके लिए कई स्थानों पर छोटे-छोटे पुलियाें का निर्माण कराया गया था. साथ ही, छठव्रतियों के आने-जानेवाले रास्तों के दोनों तरफ परदे भी लगाये गये थे.

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