एक कमरा व एक शक्षिक के सहारे संस्कृत स्कूल
एक कमरा व एक शिक्षक के सहारे संस्कृत स्कूलहाल राजकीय संस्कृत उच्च विद्यालय का प्लस टू जिला स्कूल के ही भवन में चल रहा जैसे-तैसेफोटो: संस्कृत हाइ स्कूल के कमरे का, विद्यालय के प्राचार्य डॉ सुदर्शन शर्मा.संवाददाता, गयाशिक्षा के चहुंमुखी विकास व सबके लिए शिक्षा मुहैया कराने के दावों के बीच जिला मुख्यालय में एक […]
एक कमरा व एक शिक्षक के सहारे संस्कृत स्कूलहाल राजकीय संस्कृत उच्च विद्यालय का प्लस टू जिला स्कूल के ही भवन में चल रहा जैसे-तैसेफोटो: संस्कृत हाइ स्कूल के कमरे का, विद्यालय के प्राचार्य डॉ सुदर्शन शर्मा.संवाददाता, गयाशिक्षा के चहुंमुखी विकास व सबके लिए शिक्षा मुहैया कराने के दावों के बीच जिला मुख्यालय में एक ऐसा भी हाइस्कूल है, जो एक कमरे में चलता है और बच्चों को पढ़ाने के लिए एकमात्र शिक्षक तैनात हैं. यह स्थिति राजकीय संस्कृत उच्च विद्यालय की है. स्कूल का एकमात्र कमरा भी प्लस टू जिला स्कूल का ही है.उल्लेखनीय है कि 1956 में स्थापित संस्कृत विद्यालय को अब तक अपना भवन नहीं मिला है. प्लस टू जिला स्कूल के ही भवन में जैसे-तैसे चल रहा है. फिलवक्त हालत यह है कि शिक्षकों के नहीं रहने के कारण वर्षों से क्लास नहीं चला है. स्कूल में नौ शिक्षक, एक सहायक व एक चतुर्थवर्गीय कर्मचारी के पद सृजित हैं. दाे माह पहले वर्षों बाद स्कूल में सहायक की पदस्थापना की गयी है. शिक्षकों के आठ पद वर्षों से खाली हैं. एक प्रभारी प्राचार्य के सहारे विद्यालय का संचालन किया जा रहा है. विद्यालय में नामांकन के बाद विद्यार्थी फाॅर्म भरने के समय ही आते हैं.छात्रों की संख्या भी कमविद्यालय में प्रथमा प्रथम वर्ष (कक्षा सात समकक्ष), प्रथमा द्वितीय वर्ष (कक्षा आठ समकक्ष), मध्यमा प्रथम वर्ष (कक्षा नौ समकक्ष) व मध्यमा द्वितीय वर्ष (मैट्रिक समकक्ष) की शिक्षा दिलायी जाती है. कई वर्षों से कक्षा प्रथमा प्रथम में एक भी विद्यार्थियों ने नामांकन नहीं कराया है. इस साल प्रथमा द्वितीय में पांच, मध्यमा प्रथम में पांच व मध्यमा द्वितीय में नौ विद्यार्थियों ने नामांकन कराया है.लापरवाही के कारण विद्यालय की दुर्दशासंस्कृत विषय पर लापरवाही के कारण ही आज विद्यालय की दुर्दशा हो गयी है. अवर शिक्षा सेवा (शिक्षण शाखा) से सरकार ने शिक्षक नियुक्ति पर रोक लगा रखी है, जबकि उर्दू व संस्कृत के भाषा विकास के लिए केंद्र सरकार द्वारा 80 प्रतिशत का अनुदान विद्यालयों को दिया जाता है. बिहार के सभी संस्कृत विद्यालयों की स्थिति लगभग एक समान है. प्लस टू जिला स्कूल द्वारा विद्यालय संचालन के लिए दो कमरे उपलब्ध कराये गये थे. इनमें से एक कमरा पंचायत शिक्षकों के प्रमाणपत्र जांच के लिए निगरानी की टीम को दे दिया गया है.डॉ सुदर्शन शर्मा, प्रभारी प्राचार्य, राजकीय संस्कृत उच्च विद्यालय