माया के पीछे दौड़ मत लगाओ : आशुतोषानंद

माया के पीछे दाैड़ मत लगाओ : आशुताेषानंदफोटो – 1 – प्रवचन करते स्वामी आशुतोषानंद महाराज.फोटो- 2- कथा को सुनते श्रद्धालु.फोटो 3 – झांकी में जन्म के बाद भगवान कृष्ण को टोकरी में लेकर जाते नंदबाबा बने श्रद्धालु.प्रतिनिधि, इमामगंजभगवान को भक्त जिस रूप में याद करते हैं, वह उसी रूप मे प्रगट लेते हैं और […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | December 1, 2015 10:59 PM

माया के पीछे दाैड़ मत लगाओ : आशुताेषानंदफोटो – 1 – प्रवचन करते स्वामी आशुतोषानंद महाराज.फोटो- 2- कथा को सुनते श्रद्धालु.फोटो 3 – झांकी में जन्म के बाद भगवान कृष्ण को टोकरी में लेकर जाते नंदबाबा बने श्रद्धालु.प्रतिनिधि, इमामगंजभगवान को भक्त जिस रूप में याद करते हैं, वह उसी रूप मे प्रगट लेते हैं और सबका कल्याण करते हैं. माया के पीछे दौड़ मत लगाओ. अगर दौड़ना ही है तो मायापति के पीछे दौड़ो, कल्याण हो जायेगा. ये बातें इमामगंज प्रखंड के रानीगंज बाजार में सात दिवसीय श्रीमद् भागवत महापुराण ज्ञान यज्ञ के छठे दिन मंगलवार को स्वामी अाशुतोषानंद गिरि जी महाराज ने कहीं. स्वामी जी ने कहा कि जब भी घर में कोई बालक जन्म लेता है, तो पंडितों को बुला कर विशेष पूजा-अर्चना करवानी चाहिए. मनुष्य को जीवन में 16 संस्कार जरूर करवाना चाहिए, ये बहुत जरूरी है. भगवान जब-जब धरती पर प्रगट हुए हैं, उन्हें सुख प्राप्त नहीं हुआ है. भगवान अपने दुख की अनदेखी कर भक्तों को अपनी लीला दिखलाते हैं. अगर भक्त पर कोई कष्ट आता है, तो भगवान उसे दूर करने के लिए परेशान हो जाते हैं. यही कारण है कि भक्त व भगवान के बीच अन्योनाश्रय संबंध युगों-युगों से चला आ रहा है. जो लोग अपनी भक्ति से भगवान को एक बार प्रसन्न कर लेते हैं, वैसे भक्ताें का साथ भगवान भी कभी नहीं छोड़ते हैं. कथा के माध्यम से स्वामी जी ने भगवान कृष्ण के बाल रूप की विस्तार से वर्णन किया. भगवान के बाल रूप की कथा व झांकी देख कर लोग भक्ति में खुद को भूल. भगवान श्रीकृष्ण के जन्म लेने पर कथा के अयोजकों द्वारा खिलौने, चाॅकलेट, माखन, मिसरी, फल व प्रसाद बांटे गये. महिलाओं द्वारा सोहर, मंगल गीत व बृज की ठिठोली से ऐसा माहौल बनाया कि एक पल के लिए लगा कि भगवान श्रीकृष्ण मानो रानीगंज में ही प्रगट हुए हों. इस मौके पर समाजसेवी डॉ अजय कुमार वर्मा, राजेंद्र पांडेय, महेंद्र पांडेय, मोतीलाल सांवरिया, राजेंद्र पोद्दार, सत्यनारायण पोद्दार, रूलीचंद्र पोद्दार, सूरज पोद्दार, प्रकाश पोद्दार व गोपी पोद्दार सहित सैकड़ों श्रद्धालु मौजूद थे.

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