गया-औरंगाबाद बार्डर पर मुठभेड़, माओवादी बंकर पुलिस कब्जे में

गया-औरंगाबाद बार्डर पर मुठभेड़, माओवादी बंकर पुलिस कब्जे में फोटो-आमस 01-मुठभेड़ स्थल से आमस थाना पहुंची एसएसपी गरिमा मलिक.10 मोबाइल फोन, कई कंबल व नक्सली साहित्य बरामदतीन माओवादी लीडरों को गोली लगने की संभावनाजंगल में मिले खून के धब्बे, देर रात तक जारी रहा कांबिंग ऑपरेशन वरीय संवाददाता, गया/आमसगया व औरंगाबाद जिलों की सीमा पर […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | December 11, 2015 11:23 PM

गया-औरंगाबाद बार्डर पर मुठभेड़, माओवादी बंकर पुलिस कब्जे में फोटो-आमस 01-मुठभेड़ स्थल से आमस थाना पहुंची एसएसपी गरिमा मलिक.10 मोबाइल फोन, कई कंबल व नक्सली साहित्य बरामदतीन माओवादी लीडरों को गोली लगने की संभावनाजंगल में मिले खून के धब्बे, देर रात तक जारी रहा कांबिंग ऑपरेशन वरीय संवाददाता, गया/आमसगया व औरंगाबाद जिलों की सीमा पर स्थित बांकेबाजार प्रखंड के डुमरी-लंगुराही (खैरा-गंजवा) जंगल में शुक्रवार को कांबिंग ऑपरेशन के दौरान पुलिस व प्रतिबंधित नक्सली संगठन भाकपा-माओवादी के बीच मुठभेड़ हो गयी. माओवादी लड़ाकू दस्ते ने अत्याधुनिक हथियारों से जवानों पर हमला किया. जवानों ने भी जवाबी कार्रवाई की, जिससे माओवादियों के पैर उखड़ गये. हालांकि, इस मुठभेड़ में पुलिस को नुकसान नहीं हुआ. लेकिन, मुठभेड़ समाप्त होने के बाद घटनास्थल पर माओवादी बंकर से पुलिस ने 10 मोबाइल फोन, काफी संख्या में कंबल व नक्सली साहित्य सहित माओवादियों के प्रयोग में आनेवाले कई सामान बरामद किये.हौसला बढ़ाने जंगल में पहुंचीं एसएसपीमुठभेड़ की सूचना मिलते ही एसएसपी गरिमा मलिक, सिटी एसपी रविरंजन कुमार, एएसपी (नक्सल) मनोज कुमार यादव अपनी टीम के साथ आमस थाने के रास्ते सात पहाड़ियों को पार कर जंगल पहुंचे और घटना का जायजा लिया. पहाड़ों व जंगलों के बीच महिला एसएसपी को देख जवानों व अधिकारियों के हौसले बुलंद हो गये. एसएसपी ने माओवादी बंकर से मिले मोबाइल फोन व नक्सली साहित्य के बारे में जानकारी जुटायी. इसके बाद कोबरा, सीआरपीएफ, एसटीएफ व जिला पुलिस के जवानों को दिशा-निर्देश दिये. सतर्कता से माओवादी हमले से बचे जवान सिटी एसपी रविरंजन कुमार ने बताया कि गया व औरंगाबाद की सीमा पर स्थित जंगल में माअोवादी दस्ते के ठहरे होने की सूचना एसएसपी को मिली. माओवादियों को घेरने के लिए एक रणनीति बना कर कांबिंग ऑपरेशन शुरू किया गया. ऑपरेशन में कोबरा, सीआरपीएफ के 159 बटालियन, एसटीएफ, जिला पुलिस के जवान व अधिकारी शामिल रहे. मुठभेड़ के दौरान जवानों व अधिकारियों ने माओवादियों को सरेंडर करने की चेतावनी दी. इसके बावजूद माओवादियों ने जवानों पर फायरिंग जारी रखी. तब, अधिकारियों व जवानों ने मोर्टार, एलएमजी सहित अन्य अत्याधुनिक हथियारों से माओवादी दस्ते का मुंहतोड़ जवाब दिया. सिटी एसपी ने बताया कि लगभग 20 मिनट तक चली मुठभेड़ में माओवादियों को काफी नुकसान हुआ है. माओवादियों के बंकर से 10 मोबाइल व पिठू (बिंडोलिया) बरामद हुए हैं. मोबाइल व पिठू पर लगे गोली के निशान से संभावना है कि शीर्ष नक्सली नेता परमजीत, राजीव व अखिलेश या तो मारे गये हैं या घायल हुए हैं. सिटी एसपी का मानना है कि जिस तरह से गोली लगी है, उससे बचने की संभावना कम ही है. जंगलतटीय इलाके में नक्सलियों को पकड़ने के लिए सर्च अभियान जारी है. माओवादी संगठन की बैठक होने की मिली थी सूचना सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, डुमरी-लंगुराही के समीप जंगल में भाकपा माओवादी संगठन के शीर्ष नक्सली बैठक के लिए जमा हुए थे. इसी दौरान सर्च अभियान में लगे पुलिस जवानों को इसकी भनक लगी और वे मौके पर पहुंच गये. इसके बाद दोनों तरफ से फायरिंग शुरू हो गयी. अभी स्थिति पूरी तरह स्पष्ट नहीं हो सकी है कि मुठभेड़ में कोई हताहत हुआ या नहीं.औरंगाबाद की ओर से भी हुई घेराबंदी कांबिंग ऑपरेशन के दौरान मुठभेड़ दोपहर के समय हुई. इस कारण माओवादियों को घेरने के लिए एसएसपी ने तुरंत औरंगाबाद एसपी बाबूराम से बातचीत की और मदनपुर थाना इलाके से डुमरी-लंगुराही जंगल काे घेरने की योजना बनायी, ताकि मुठभेड़ कर भाग रहे माओवादियों को पकड़ा जा सके. एसपी बाबूराम ने तुरंत एएसपी राजेश भारती व सीआरपीएफ के 153 बटालियन को उस इलाके की घेराबंदी करने का निर्देश दिया. शुक्रवार की देर रात तक गया व औरंगाबाद जिलों की पुलिस संयुक्त रूप से कांबिंग ऑपरेशन में लगी रही.

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