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स्टेट टीम के निशाने पर गया के ड्रग इंस्पेक्टर

स्टेट टीम के निशाने पर गया के ड्रग इंस्पेक्टर फोटोड्रग इंस्पेक्टर पर जांच को प्रभावित करने का आरोप दवा दुकानदारों को लाभ पहुंचाने के लिए एफआइआर में फेर-बदल का पहले भी लग चुका है आरोपसंवाददाता, गयागया के ड्रग इंस्पेक्टर राजीव कुमार गुप्ता वरीय ड्रग इंस्पेक्टर सच्चिदानंद विक्रांत के नेतृत्व में आयी 11 सदस्यीय टीम के […]

स्टेट टीम के निशाने पर गया के ड्रग इंस्पेक्टर फोटोड्रग इंस्पेक्टर पर जांच को प्रभावित करने का आरोप दवा दुकानदारों को लाभ पहुंचाने के लिए एफआइआर में फेर-बदल का पहले भी लग चुका है आरोपसंवाददाता, गयागया के ड्रग इंस्पेक्टर राजीव कुमार गुप्ता वरीय ड्रग इंस्पेक्टर सच्चिदानंद विक्रांत के नेतृत्व में आयी 11 सदस्यीय टीम के निशाने पर हैं. इस टीम का अारोप है कि जांच को प्रभावित करने के लिए श्री गुप्ता सील दवा एजेंसी की चाबी लेकर फरार हैं. इससे पहले भी इन पर दवा दुकानदारों को लाभ पहुंचाने को लेकर एफआइआर में फेर-बदल करने का आरोप लग चुका है. इधर श्री गुप्ता ने स्टेट टीम की कार्रवाई को ड्रग कंट्रोल एक्ट के विरुद्ध बताया है. दवा मंडी में सोमवार से टीम की जांच चल रही है. इससे दवा व्यवसाइयों में हड़कंप है. मंगलवार को मंडी की सभी दुकानें बंद रहीं.गौरतलब है कि राज्य औषधि निरीक्षक रमेश कुमार द्वारा गठित 11 सदस्यीय टीम सोमवार की शाम गया पहुंची व टिकारी रोड स्थित न्यू मंटू फार्मा व अहिवरण फार्मा पर एक साथ धावा बोला. जांच के दौरान 10 गुना से ज्यादा अंकित मूल्य वाली कई प्रकार की सस्ती दवाएं, कई प्रतिबंधित दवाएं व नियम के विरुद्ध दवाओं के डब्बे पर बीमारियों की लिखी दवाएं पायी गयीं. रेफ्रीजेटर में रखी जानी वाली दवाएं फर्स पर बेतरतीब रखी पायी गयी. इन दवाओं की कीमत लाखों में बतायी जा रही है. इन दवाओं का बिल भी उपलब्ध नहीं था. जानकारी के अनुसार, जब्ती सूची बनाने की प्रक्रिया पूरी होने के बाद वास्तविक मूल्य की पुष्टि की जा सकेगी. पता चला है कि इससे पहले इन दुकानों में स्थानीय ड्रग इंस्पेक्टर राजीव कुमार गुप्ता के द्वारा गुप्त छापेमारी की गयी थी. किसी को कानों-कान भी पता नहीं चल सका था. अब जब स्टेट टीम द्वारा जांच की जा रही है, तो उन पर जांच को प्रभावित करने का अरोप लगाया जा रहा है. वरीय औषधि निरीक्षक सच्चिदानंद विक्रांत ने बताया कि सोमवार को आरके एजेंसी को सील किया गया था. उसकी चाबी श्री गुप्ता को हैंड ओवर किया गया था. मंगलवार को टीम जब जांच करने पहुंची, तो श्री गप्ता चाबी लेकर फरार पाये गये. इससे जांच का काम ठप रहा. हालांकि न्यू मंटू फार्मा की जांच की गयी. उन्होंने यह भी बताया कि इससे पहले भी श्री गुप्ता दवा दुकानदारों के विरुद्ध दर्ज कराई गयी प्राथमिकी में हेरा-फेरी कर चुके हैं. इससे स्पष्ट है कि दवा दुकानदारों के साथ उनकी सांठ-गांठ है. इधर, स्थानीय औषधि निरीक्षक श्री गुप्ता ने स्टेट टीम की जांच को ड्रग कंट्रोल एक्ट के विरुद्ध करार दिया है. उन्होने बताया कि ड्रग कंट्रोल एक्ट के तहत दवा दुकानदारों को बिल उपलब्ध कराने के लिए 20 दिनों का समय दिये जाने का प्रावधान है. लेकिन, बगैर समय दिये जब्ती सूची बनायी जा रही है, जो नियम संगत नहीं है. उन्होंने यह भी कहा कि मंगलवार की शाम चार बजे तक टीम के आने का इंतजार किया गया. नहीं आने पर शाम चार बजे सिविल सर्जन से अनुमति प्राप्त कर पटना चला आया.

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