अस्पतालकर्मियों ने ही ठप कर दिया ओपीडी!
अस्पतालकर्मियों ने ही ठप कर दिया ओपीडी!जयप्रकाश नारायण अस्पताल की घटनादो घंटे तक बंद ओपीडी को सीएस ने कराया चालूअस्पताल में भ्रष्टाचार के खिलाफ आंदोलन से चिंितत हैं कर्मचारी!संवाददाता, गयाजयप्रकाश नारायण अस्पताल के कर्मचारी बचाव की मुद्रा में आ गये लगते हैं. मंगलवार की सुबह अचानक यहां के कर्मचारियों ने भी आंदोलन की राह पकड़ […]
अस्पतालकर्मियों ने ही ठप कर दिया ओपीडी!जयप्रकाश नारायण अस्पताल की घटनादो घंटे तक बंद ओपीडी को सीएस ने कराया चालूअस्पताल में भ्रष्टाचार के खिलाफ आंदोलन से चिंितत हैं कर्मचारी!संवाददाता, गयाजयप्रकाश नारायण अस्पताल के कर्मचारी बचाव की मुद्रा में आ गये लगते हैं. मंगलवार की सुबह अचानक यहां के कर्मचारियों ने भी आंदोलन की राह पकड़ ली. अस्पताल में प्रदर्शन शुरू कर दिये. करीब दो घंटे तक ओपीडी को भी बाधित रखा. अस्पताल में अफरा-तफरी मचा गयी. हालांकि सूचना मिलते ही सिविल सर्जन डॉ कृष्णमोहन पूर्वे ने पहुंच कर स्थिति संभाली. उसके बाद ओपीडी खुला भी. पर, तब तक बड़ी संख्या में मरीज बगैर इलाज वापस लौट चुके थे. जो मरीज रुके रहे, उन्हें अवश्य राहत मिली. उल्लेखनीय है कि अस्पताल के कर्मचारी सिविल सर्जन व अस्पताल प्रबंधन से खुद को नाराज बता रहे हैं.अस्पताल में अचानक ओपीडी बंद होने से बागेश्वरी की 11 वर्षीय माधुरी व उसकी मां दो घंटे तक परेशान रहीं. सिविल सर्जन के हस्तक्षेप पर ओपीडी चालू होने के बाद ही इनका इलाज संभव हो सका. मानपुर की अनीता देवी अपने बच्चे को एंटी रैबीज इंजेक्शन दिलाने आयी थीं. वह निराश हो लौट गयीं. मंगलवार को दूसरा इंजेक्शन पड़ना था. इसी तरह ढेर सारे लोग हताश-निराश होकर मंगलवार को अस्पताल से इलाज के बिना ही लौट गये.कर्मचारियों की मानें तो नियमित रूप से दवा की आपूर्ति नहीं होने से उन्हें मरीज व उनके परिजनों का कोपभाजन बनना पड़ता है. अस्पताल में सुरक्षा का प्रबंध भी नहीं है. बचाव में कदम उठाने पर उन्हें ही जिम्मेवार ठहराया जाता है. इसका तत्कालिक उदाहरण फर्मासिस्ट अनिल कुमार के साथ गत 22 दिसंबर को हुई घटना है. घटना के दिन अस्पताल में एंटी रैबीज इंजेक्शन उपलब्ध नहीं था. मना करने पर गाली-गलौज व धक्का-मुक्की करने का अारोप लगा कर कोतवाली थाने में शिकायत दर्ज करायी गयी है. साथ ही इस मामले को राजनीतिक रंग दिया जा रहा है. कर्मचारियों ने आगे और भी उग्र आंदोलन करने की चेतावनी दी है. उधर, राष्ट्रीय लोक समता पार्टी के नेता विनय कुशवाहा ने कहा है कि अस्पताल की खामियां उजागर होने से डॉक्टर व कर्मचारी बौखलाए हैं. उनकी गर्दन नहीं फंसे, इसके लिए स्वास्थ्य सेवाएं ठप कर नाराज होने का नाटक कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि अस्पताल में विरोध जताने के नाम पर ओपीडी ठप करनेवाले कर्मचािरयों का आचरण सरकारी सेवा संहिता के विरुद्ध है. चिकित्सा अनिवार्य सेवा है. इसे ठप करनेवालों ने एक और नया अपराध कर िदया है. सिविल सर्जन को चाहिए कि चिकित्सा सेवा ठप करने में संलिप्त डॉक्टरों व कर्मचारियों को चिह्नित करें और तुरंत उनके विरुद्ध कार्रवाई की पहल भी करें.उधर, प्रभारी अस्पताल उपाधीक्षक डॉ संजय कुमार सिंह ने बताया कि कुछ कर्मचारियों ने स्वास्थ्य सेवाएं ठप करने की कोशिश की थी. लेकिन ऐसा होने नहीं दिया गया. इमरजेंसी सेवा पर कोई असर नहीं पड़. कुछ देर के लिए ही ओपीडी ठप रहा. उन्होंने बताया कि मंगलवार को ओपीडी में 421 मरीजों का इलाज हुआ. वैसे, यहां औसतन 600 मरीज देखे जाते हैं. विगत सोमवार को भी 650 मरीज पहुंचे थे. इससे स्पष्ट है कि मंगलवार को ओपीडी ठप किये जाने के चलते ढेर सारे मरीजों को बिना इलाज ही घर लौटना पड़ा.मामले की जांच के लिए कमेटी गठितसिविल सर्जन डॉ कृष्णमोहन पूर्वे ने कहा कि अस्पताल में स्वास्थ्य सेवाएं ठप होने की बात सही नहीं है. गत 22 दिसंबर की घटना की जांच के लिए तीन सदस्यीय कमेटी बनी है. इसमें डॉ केके मिश्रा, डॉ सुरेंद्र चौधरी व डॉ संजय कुमार सिंह शामिल हैं. जांच से घबराए कुछ कर्मचािरयों ने स्वास्थ्य सेवा ठप करने की कोशिश की थी, जिसे विफल कर दिया गया. टीम को 24 घंटे के अंदर जांच रिपोर्ट देने का निर्देश दिया गया है. इसके बाद ही अगली कार्रवाई की जायेगी.