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क्या आवारा पशुओं से मुक्त होंगी सड़कें?

क्या आवारा पशुओं से मुक्त होंगी सड़कें? लोगो – वेलकम 2016 – जो पिछले साल नहीं हुआ, वो इस साल तो करिएविकट समस्या. नगर निगम से अब तक नहीं हुई सार्थक पहल कहीं सड़कों पर चल रहे खटाल, तो कहीं दूध निकालने के बाद खुला छोड़ दिये जाते हैं मवेशी संवाददाता, गया पिछले कई वर्षों […]

क्या आवारा पशुओं से मुक्त होंगी सड़कें? लोगो – वेलकम 2016 – जो पिछले साल नहीं हुआ, वो इस साल तो करिएविकट समस्या. नगर निगम से अब तक नहीं हुई सार्थक पहल कहीं सड़कों पर चल रहे खटाल, तो कहीं दूध निकालने के बाद खुला छोड़ दिये जाते हैं मवेशी संवाददाता, गया पिछले कई वर्षों से सड़कों पर आवारा पशुओं से त्रस्त शहर के लोग नये साल में इससे निजात पाने की उम्मीद तो कर ही सकते हैं. अब देखना यह है नगर निगम इस समस्या को कितनी गंभीरता से लेता है. शहर की हर सड़क आवारा मवेशियों से भरी नजर आती है. कहीं रोड पर खटाल खोल कर दूध का कारोबार होता है, तो कहीं दूध निकालने के बाद पशुओं को रोड पर ही घूमने के लिए छोड़ दिया जाता है. नगर निगम अब तक इस समस्या पर गंभीर नहीं दिखा है. या यों कहें कि इस कुव्यवस्था को रोकने के लिए कभी भी नगर निगम की तरफ से गंभीर कोशिश नहीं की गयी. कई बार दबाव में निगम बोर्ड की बैठक में इस मुद्दे पर चर्चा भी हुई, लेकिन वह महज कागजों में ही सिमट कर रहा गया. हालांकि, एक बार फिर जब इस मुद्दे को सामने लाया गया है, तो सभी वार्ड पार्षद नये साल में इस पर गंभीरता से पहल करने की बात कर रहे हैं. पहले भी हुई कोशिश एक बार पहले भी नगर निगम ने इस समस्या पर पहल की थी. शहर में कुछ दिनों तक निगम के कर्मचारियों ने सड़क पर घूम रहे मवेशियों को पकड़ा भी था, लेेकिन इसने नगर निगम की मुश्किलें बढ़ गयीं. पहली मुश्किल यह कि निगम के पास जानवरों को पकड़ने के लिए न तो कोई गाड़ी थी और न ही पर्याप्त कर्मचारी. दूसरा यह कि कई मामले ऐसे भी आये कि जब कर्मचारी ने रोड पर घूमते हुए जानवर को पकड़ा, तो उनके मालिक कर्मचारियों के साथ मारपीट कर जानवर को छुड़ा ले गये. इसके बाद निगम ने आवारा मवेशियों को पकड़ने की इस मुहिम पर रोक लगा दी. कई बार हुआ नोटिस भी शहर पर जानवरों को बांधने के मामले में कई बार नगर निगम ने खटाल मालिकों को नोटिस भी दिया. पुलिस की मदद से कुछ खटालों को हटाया भी गया, लेकिन यह महज खानापूर्ति ही रही. एक-दो दिनों में सबकुछ वापस से सामान्य हो गया. फिर से सड़कों पर जानवर बांधे जाने लगे. सूत्रों की मानें, तो कार्रवाई होने की स्थिति में कई बार निगम पर राजनीतिक दबाव भी पड़ता है, इस वजह से भी अभियान रुक जाता है. निगम के पास इच्छाशक्ति की कमीसड़कों से मवेशियों को हटाना कहीं से भी जटिल प्रक्रिया नहीं है, केवल इच्छाशक्ति की कमी है. नगर निगम गंभीरता से पहल करते हुए सड़कों पर घूम रहे या बंधे मवेशियों को पकड़ कर उन्हें कहीं और रखने का इंतजाम करे. इसके लिए गोरक्षणी से भी बात की जा सकती है. जानवरों को वहां रखा जा सकता है. सबसे खास यह कि मवेशियों को पकड़ने के बाद इनके मालिकों से हर हाल में जुर्माना वसूला जाये.बृजनंदन पाठक गोरक्षणी में जानवरों को रखने के बेहतर इंतजाम किये जा सकते हैं. इसके लिए नगर निगम पहले करे. गोरक्षणी में स्टॉफ बहाल कर जानवरों की अच्छी देखभाल हो सकती है. इसके अलावा नगर निगम सभी वार्डों के जमादारों को भी यह जिम्मेवारी दे कि सड़कों पर कहीं भी आवारा जानवर नहीं घूम सकें. बावजूद अगर ऐसा हो, तो संबंधित जमादार पर कार्रवाई हो. साथ ही, खटाल मालिकों पर भी कार्रवाई हो.डाॅ आरएस नागमणि बहुत पहले एक योजना बनी थी. इसमें तय हुआ था कि सभी खटाल शहर से बाहर हों. ऐसा करने पर शहर में गंदगी भी नहीं फैलती और मवेशियों का शहर की सड़कों पर घूमना भी नहीं हो पाता. लेकिन, उस प्रोजेक्ट पर कभी काम ही नहीं हुआ. नगर निगम या तो फिर से उस प्रोजेक्ट पर काम शुरू करे, या फिर कोई नयी प्लानिंग करे.कौशलेंद्र नारायण संसाधन मजबूत होने के बाद ही नयी प्लानिंगशहर में आवारा पशुओं पर अंकुश लगाने के लिए अब तक तो हम लोगों ने कुछ नहीं किया है. दरअसल इसके पीछे भी बड़ा कारण है. नगर निगम का इन्फ्रास्ट्रक्चर अभी डेवलप नहीं हो सका है. आवारा पशु (जैसे-गाय व कुत्ता आदि) को पकड़ने के बाद उन्हें रखने का भी इंतजाम करना होता है. इसके लिए पूरी व्यवस्था करनी पड़ती है. निगम अभी शहर की रोजमर्रा की जरूरतों को पूरा करने में ही लगा है. हमारी पूरी कोशिश है कि नये साल में नगर निगम को आर्थिक रूप से मजबूत किया जा सके. आंतरिक संसाधन मजबूत होने पर ही हम अपने स्तर पर कुछ नयी प्लानिंग कर सकेंगे. आवारा पशुओं को रखने के लिए इंतजाम हो सकता है. निगम के पास अपनी जमीन है, उसका प्रयोग कर सकते हैं.सोनी कुमारी, मेयर\\\\B

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