मृदु भावना, सत्कर्म, नष्ठिा से भरा नव वर्ष हो…

मृदु भावना, सत्कर्म, निष्ठा से भरा नव वर्ष हो…कवियों ने अपनी रचनाओं में दी नववर्ष की बधाईसंवाददाता, गयाजिला हिंदी साहित्य सम्मेलन में काव्य चक्र के तहत आयोजित काव्य संध्या का आयोजन जगन्नाथ मिश्रा कॉलेज मऊ के प्राचार्य डॉ ब्रजराज मिश्र की अध्यक्षता में हुई. इस दौरान रामावतार सिंह ने कहा, मृदु भावना, सत्कर्म, निष्ठा से […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | January 3, 2016 11:26 PM

मृदु भावना, सत्कर्म, निष्ठा से भरा नव वर्ष हो…कवियों ने अपनी रचनाओं में दी नववर्ष की बधाईसंवाददाता, गयाजिला हिंदी साहित्य सम्मेलन में काव्य चक्र के तहत आयोजित काव्य संध्या का आयोजन जगन्नाथ मिश्रा कॉलेज मऊ के प्राचार्य डॉ ब्रजराज मिश्र की अध्यक्षता में हुई. इस दौरान रामावतार सिंह ने कहा, मृदु भावना, सत्कर्म, निष्ठा से भरा नव वर्ष हो. संसार के सब मानवों में प्रीति मंगल हर्ष हो. सुरेंद्र सिंह सुरेंद्र ने नये साल पर कहा-सूरज की नयी किरणों की तरह, उज्ज्वल सुखमय नववर्ष हो. हर गांव गली में उल्लासित, हर आंगन में हर्ष हो. विजय कुमार सिन्हा ने अपनी कविता नवीन वर्ष आ गया पढ़ी. उन्होंने कहा-नयी धरा, नया गगन, नया-नया बिहान है. नवीन सूर्य-चंद्र हैं, नया जगत महान है. डॉ ब्रजराज मिश्र ने कहा-नव वर्ष लेकर आया है, खुशियों का नया बिहान. प्रेम भाव पिचकारी भरकर, लाया है रति ललाम. गीतकार संजीत कुमार ने गरीबों के लिए गाया-दिन बदला दुनिया बदली, बदला है साल रे. हम तो जैसे के तैसे हैं, हम तो हैं बेहाल रे. मुद्रिका सिंह ने अपनी मगही कविता में कहा-नये साल में नया कुछ करके, तू भी अप्पन पहचान बनावऽ. करम पर टिकल हे इ दुनिया, सब भाई-बहिन के बतलावऽ. नवीन नवनीत ने कहा-सूई समय की खिसक रही, आता सालों हर साल नया. चंद्रदेव केशरी ने भजन में गाया-कलयुग ऊपर रंग चढयौ हैं, भ्रष्ट जन पांव पसारी. गजेंद्र लाल अधीर ने कहा-तुम स्वयं प्रभापति, मैं कामना विभावरी. राजीव रंजन ने अपनी रचना में गरीबी की मारी बेबस मां के चित्र खींचे. योगेश कुमार मिश्र ने गयाधाम की चर्चा की. मुकेश कुमार सिन्हा ने दिल्ली में ऑड–इवेन नंबर के कारों पर करारा व्यंग्य किया. प्रो मनान अंसारी ने कहा-मस्जिद ये तुम्हारी है, मंदिर ये तुम्हारा है. हम सोचते रहते हैं, दर-दर ये तुम्हारा है. संजय सहियावी ने प्रेमी युगल को पानी में कमल की तरह बतलाया. डॉ प्रकाश ने नेताओं पर व्यंग्य कसे कि मंदिर-मस्जिद के नाम पर लड़वानेवालों, देश में दंगा फैलानेवालों से रहो होशियार सदा. काव्य संध्या का संचालन सुमंत ने किया. अंत में गजेंद्र लाल अधीर के दिवंगत पुत्र चंद्र प्रकाश की आत्मा शांति के लिए दो मिनट का मौन रखा गया.

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