बौद्ध मठों के व्यवसायीकरण पर प्रशासन की नजर
बौद्ध मठों के व्यवसायीकरण पर प्रशासन की नजरबौद्ध मठों में होटलों के तर्ज पर कमरे व खानपान की सुविधा होने से होटल व्यवसायी जताते रहे हैं चिंतासंवाददाता, बोधगयाबोधगया में विभिन्न देशों के बौद्ध मठों (बौद्ध महाविहारों) में होटलों के तर्ज पर श्रद्धालुओं व पर्यटकों को ठहराने की बढ़ रही परंपरा व इसका व्यवसायीकरण किये जाने […]
बौद्ध मठों के व्यवसायीकरण पर प्रशासन की नजरबौद्ध मठों में होटलों के तर्ज पर कमरे व खानपान की सुविधा होने से होटल व्यवसायी जताते रहे हैं चिंतासंवाददाता, बोधगयाबोधगया में विभिन्न देशों के बौद्ध मठों (बौद्ध महाविहारों) में होटलों के तर्ज पर श्रद्धालुओं व पर्यटकों को ठहराने की बढ़ रही परंपरा व इसका व्यवसायीकरण किये जाने की शिकायत पर अब प्रशासन भी जांच-पड़ताल में जुट गयी है. जिला प्रशासन द्वारा इस बात की तस्दीक की जा रही है कि आखिर बौद्ध मठों में व्यवसाय किस प्रकार किया जा रहा है. बुधवार को डीएम कुमार रवि ने होटल एसोसिएशन बोधगया के प्रतिनिधियों के साथ बैठक के दौरान यह जानना चाहा कि बौद्ध मठों द्वारा होटलों की तरह श्रद्धालुओं को कैसे ठहराया जा रहा है. होटल एसोसिएशन बोधगया के प्रतिनिधियों ने डीएम को बताया कि बौद्ध मठों में 20 से लेकर 100 तक कमरे बने हैं. यहां विदेशी पर्यटकों व श्रद्धालुओं को ठहरने की सुविधा दी जा रही है व इसके लिए कोई दर भी निर्धारित नहीं होता है. सिर्फ संबंधित बौद्ध मठों के विकास के नाम पर श्रद्धालुओं से डोनेशन लिया जाता है. इसके साथ ही उन्हें नाश्ता व भोजन आदि की भी सुविधा मुहैया करा दी जाती है. कई बौद्ध मठों के अंदर माला, फोटो व मूर्ति की दुकानें भी चल रही हैं. इस कारण बोधगया में करोड़ों की लागत से बने दर्जनों होटलों के व्यवसाय को नुकसान हो रहा है. हालांकि, इसकी चिंता व आपत्ति पहले भी बोधगया के होटल व्यवसायी शासन- प्रशासन के समक्ष जताते रहे हैं. बौद्ध मठों के बारे में जानकारी प्राप्त करने के बाद डीएम ने कहा कि इसकी जांच करायी जायेगी.