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रोजी-रोटी नहीं मिलने पर नक्सली बनते हैं लोग : जीतनराम मांझी

रोजी-रोटी नहीं मिलने पर नक्सली बनते हैं लोग : जीतनराम मांझीफोटो-सभा को संबोधित करते व अभिवादन स्वीकार करते पूर्व मुख्यमंत्री सह स्थानीय विधायक जीतनराम मांझी.लुटूआ गांव में उत्क्रमित उच्चतर माध्यमिक विद्यालय के वार्षिकोत्सव को पूर्व मुख्यमंत्री सह स्थानीय विधायक ने किया संबोधित प्रतिनिधि, बांकेबाजार (गया)रोजी-रोटी व सम्मान नहीं मिलने पर ही लोग मजबूरी नक्सली बनते […]

रोजी-रोटी नहीं मिलने पर नक्सली बनते हैं लोग : जीतनराम मांझीफोटो-सभा को संबोधित करते व अभिवादन स्वीकार करते पूर्व मुख्यमंत्री सह स्थानीय विधायक जीतनराम मांझी.लुटूआ गांव में उत्क्रमित उच्चतर माध्यमिक विद्यालय के वार्षिकोत्सव को पूर्व मुख्यमंत्री सह स्थानीय विधायक ने किया संबोधित प्रतिनिधि, बांकेबाजार (गया)रोजी-रोटी व सम्मान नहीं मिलने पर ही लोग मजबूरी नक्सली बनते हैं. नक्सली पैदा नहीं होते, बल्कि मजबूरी में उन्हें हथियार उठाना पड़ता है. नक्सली विकास में बाधक नहीं होते हैं. अगर सभी लोगों के लिए रोजगार, रोटी, कपड़ा व मकान आदि की व्यवस्था हो जाये, तो मैं दावा करता हूं कि देश-समाज में नक्सली नाम की कोई चीज नहीं रहेगी. उक्त बातें पूर्व मुख्यमंत्री सह स्थानीय विधायक जीतनराम मांझी ने कहीं. वह बुधवार को बांकेबाजार प्रखंड के लुटूआ गांव में उत्क्रमित उच्चतर माध्यमिक विद्यालय के वार्षिकोत्सव को संबोधित कर रहे थे. श्री मांझी ने कहा कि लोग कैसे कहते हैं कि लुटूआ नक्सलग्रस्त क्षेत्र है. लेकिन, लुटूआ आने के बाद उन्हें पता चला कि यह एक बहुत ही सुंदर जगह है. यहां लोग मेहनती व ईमानदार हैं. ये लोग सरकार की उपेक्षाओं के कारण कलंकित हैं. बेईमान शिक्षक, ठेकेदार व पदाधिकारी के खिलाफ आवाज उठानेवालों को नक्सली करार दे दिया जाता है. पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि बिहार में इस्टिमेट घोटाला हो रहा है. आज भी बिहार का इंजीनियर सवा करोड़ प्रति किलोमीटर की दर से सड़क बनवा सकता है, परंतु बिहार सरकार बाहरी कंपनियों द्वारा पांच करोड़ रुपये प्रति किलोमीटर के हिसाब से सड़क का इस्टीमेट बनवा कर घोटाला कर रही है. उन्होंने कहा कि पूर्व के वक्ताओं द्वारा अपने भाषणों में इस क्षेत्र में शिक्षा की कमी को उजागर किया गया. उन्हें पता है कि सुदूरवर्ती क्षेत्रों में शिक्षक पढ़ाने नहीं जाते हैं, बल्कि दो-चार हजार रुपये पर वे स्थानीय बेरोजगार युवकों से पढ़वाने का काम करवाते हैं और खुद घर में ही बैठे रहते हैं. यहां आने पर पता चला कि कामचोर पदाधिकारी व शिक्षक इस क्षेत्र में आकर काम करने के बदले नक्सली का बहाना बनाते हैं. अगर नक्सली किसी पदाधिकारी, ठेकेदार या शिक्षक से पैसे मांगते हैं, तो इतना जरूर है कि इनलोगों द्वारा गलत कार्य किया गया होगा. क्षेत्र की समस्याओं को जानने के बाद श्री मांझी ने कहा कि विधानसभा क्षेत्र के सभी पदाधिकारियों के साथ बैठक कर समस्याओं के समाधान के लिए पहल की जायेगी. यह हमें सोचना है कि इस क्षेत्र में कैसे काम किया जाये, ताकि नक्सली बाधक नहीं बनें. उन्होंने कहा कि सभी पदाधिकारी अपने कार्यक्षेत्रों में समय-समय पर भ्रमण करें, तो सरकार की सभी योजनाएं सुचारु रूप से चलती रहेंगी. उन्होंने कहा कि लुट्रआ क्षेत्र के स्वास्थ्य उपकेंद्र की जगह प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र खोलवाने, विद्यालय में शिक्षक भिजवाने व प्रखंड मुख्यालय से सभी गांवों को जोड़वाने आदि काम कराये जायेंगे. अगर काम बिहार सरकार नहीं करेगी, तो वह दिल्ली जाकर केंद्र सरकार से सिंचाई, शिक्षा, सड़क व बिजली आदि योजनाओं को क्षेत्र में लाने का प्रयास करेंगे. इस क्षेत्र के ग्रामीणों द्वारा पूर्व में भी पेयजल व सिंचाई के लिए कई बार प्रशासन को अवगत कराया गया है. पिछले दिनों एसएसपी गरिमा मल्लिक से भी ग्रामीणों नेपेयजल व सिंचाई की समस्या को दूर करने की मांग की गयी थी़ सभा को हम पार्टी के जिलाध्यक्ष टुटु खान, पूर्व जिला परिषद उपाध्यक्ष कृष्णा यादव व लुटूआ की मुखिया मीना देवी के पति बैजनाथ चौधरी आदि ने संबोधित किया.

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