पहले गंवाया हाथ, अब न्याय के लिए घिस रहे पैर
पहले गंवाया हाथ, अब न्याय के लिए घिस रहे पैरडॉक्टर पर गलत इलाज का आरोपअब जिला उपभोक्ता फोरम से ही न्याय की उम्मीदफोटो : अजय 1 : श्याम कुमार.संवाददाता, गयाएक छोटे से हादसे में बांया हाथ गंवाने व डॉक्टर के गलत इलाज का शिकार बने रामधनपुर के श्याम कुमार अब न्याय के लिए दर-दर पैर […]
पहले गंवाया हाथ, अब न्याय के लिए घिस रहे पैरडॉक्टर पर गलत इलाज का आरोपअब जिला उपभोक्ता फोरम से ही न्याय की उम्मीदफोटो : अजय 1 : श्याम कुमार.संवाददाता, गयाएक छोटे से हादसे में बांया हाथ गंवाने व डॉक्टर के गलत इलाज का शिकार बने रामधनपुर के श्याम कुमार अब न्याय के लिए दर-दर पैर घिस रहे हैं. डीडीसी ऑफिस व जिलाधिकारी के जनता दरबार से थक हार कर जिला उपभोक्ता फोरम का चक्कर काट रहे हैं. पर, वहां भी सिवाय डेट के कुछ नहीं मिल रहा है. उनका कहना है कि अब आखिरी उम्मीद कार्ट (फोरम) से ही है. जानकारी के अनुसार, रामधनपुर के श्याम कुमार शक्ति इंटरप्राइजेज में मैकेनिक के रूप में काम करते हैं. 19 अक्तूबर, 2013 को वह अपने घर के सामने ही गिर गये. इससे उनके बायें हाथ की हड्डी टूट गयी. उन्हाेंने शहर के एक डॉक्टर से इलाज करवाया, जहां डॉक्टर ने 650 रुपये लेकर कच्चा प्लास्टर कर दिया. डॉक्टर ने उन्हें अगले दिन बुला कर पक्का प्लास्टर कर दिया. कुछ दिनों के बाद श्याम कुमार ने डॉक्टर से हाथ टेढ़े होने की शिकायत की. इस बीच श्याम ने सदर अस्पताल में एक्स-रे भी कराया. लेेकिन, डॉक्टर ने उस एक्स-रे को नहीं माना और दोबारा अपने यहां एक्स-रे करवाया. इसके बाद डॉक्टर ने उनके हाथ पर दोबारा प्लास्टर चढ़ा दिया. इस बार तीन महीने तक प्लास्टर रहा. इस दौरान वह घर पर बैठे रहे. हाथ के इलाज में उनके डेढ़ लाख रुपये तक खर्च हो गये. इलाज के लिए वह कई बार पटना भी गये. उनकी पूरी जमा-पूंजी इलाज में ही हवा हो गयी. इसी दौरान किसी परिचित ने उन्हें डॉक्टर के गलत इलाज के खिलाफ जिला उपभोक्ता फोरम में शिकायत की सलाह दी. श्याम ने 13 अक्तूबर, 2014 को कोर्ट में आवेदन दिया. पहले तो वहां आवेदन ही नहीं लिया जा रहा था, लेकिन उनके वकील की काफी मशक्कत के बाद आवेदन लिया गया. इसके बाद पता चला कि कोर्ट में तो सुनवाई ही नहीं हो रही है. वहां कोर्ट मेंबर ही नहीं हैं. जून, 2015 में दो सदस्यों की नियुक्ति के बाद कोर्ट की कार्रवाई शुरू हुई. एक बार डॉक्टर को नोटिस भेजा गया, पर वह सुनवाई में हाजिर नहीं हुए. इधर, श्याम कुमार कहते हैं कि हर बार उन्हें सुनवाई की तारीख मिलती है. मामला जस का तस है. पहले ही एक हाथ गंवा चुके हैं, कोर्ट-कचहरी के चक्कर में अब तक 15-20 हजार रुपये और भी खर्च हो चुके हैं. श्याम के परिवार में पत्नी के अलावा एक बेटा व दो बेटियां हैं. आंखें नम करते हुए श्याम कुमार कहते हैं कि परिवार के पांच सदस्यों का बोझ एक हाथ से नहीं उठाया जा रहा. बच्चे बड़े हो रहे हैं, कुछ दिनों में बेटियाें की शादी की भी बात चलेगी. पर, यह सब कैसे होगा, सोच कर ही दिल बैठ जाता है. इधर, केस के संदर्भ में अद्यतन जानकारी लेने के लिए फोरम के अध्यक्ष रमेशचंद्र सिंह को शनिवार की शाम फोन किया गया, पर वह फोन पर उपलब्ध नहीं हो सके.