गया: जिला विद्यालय निरीक्षिका कार्यालय से सेवानिवृत्त प्रधान लिपिक नरेंद्र नाथ शास्त्री को अब शायद सेवांत लाभ मिल जायेगा. प्रभात खबर के शुक्रवार के अंक में ‘रिटायरमेंट के दो साल बाद भी नहीं मिले रुपये’ शीर्षक से खबर छपने के बाद शिक्षा विभाग के अधिकारी हरकत में आ गये हैं. उपस्थिति पंजी व वेतन भुगतान पंजी के आधार पर उनकी सेवा की गणना की जा रही है.
ताकि कालबद्ध प्रोन्नति दी जा सके और कार्य अवधि का वेतन, भविष्य निधि, ग्रुप बीमा व पेंशन आदि का निष्पादन हो सके. उनके सभी मदों के रुपयों का भुगतान करने के लिए विभाग से आवंटन लेने की प्रक्रिया भी शुरू कर दी गयी है.
जिला शिक्षा पदाधिकारी के कार्यालय में वर्षो धूल फांक रही श्री शास्त्री की संचिका अब चल पड़ी है. अब तक किसी तरह यजमनका (पूजा-पाठ) कर परिवार की नैया खींच रहे श्री शास्त्री के बेरोजगार बेटे सुधीर कुमार सुधाकर को भी अब बुरे दिन टलने की उम्मीद बढ़ गयी है. श्री शास्त्री को भी लगने लगा है कि शायद अब उनके जीते जी सेवांत लाभ मिल जायेगा. ज्ञातव्य हो कि श्री शास्त्री जनवरी 2011 में सेवानिवृत्त हुए थे.
वह सितंबर 2012 में लकवा की चपेट में आ गये. पैसे के अभाव में समुचित इलाज नहीं होने से शारीरिक रूप से वह इतने लाचार व विवश हो चुके हैं कि 24 घंटे बेड पर ही पड़े रहते हैं. अब तो दो जून की रोटी के लिए भी मुहताज बने हैं और मौत आने के दिन गिन रहे हैं. जिला कार्यक्रम पदाधिकारी (स्थापना) कुमारी रजनी अंबष्ठ ने बताया कि सेवानिवृत्त लिपिक श्री शास्त्री की उपस्थिति पंजी व वेतन भुगतान पंजी के आधार पर सेवा की गणना की जा रही है. इसके बाद आवंटन के लिए विभाग को लिखा जायेगा.