फिर शहर में कचरे की बाढ़, कर्मचारियों की हड़ताल का असर
गया: ‘पिछले दो महीनों से मुङो पैसे नहीं मिले. काफी परेशानी है. घर के अन्य सदस्य कुछ कमाते हैं, इस वजह से चल जाता है. वैसे भी कई मजदूर हैं जिनके घर की स्थिति काफी खराब होती है. वेतन के मामले में स्थायी व्यवस्था निगम में कभी भी नहीं रही. हर कुछ महीने पर हड़ताल […]
गया: ‘पिछले दो महीनों से मुङो पैसे नहीं मिले. काफी परेशानी है. घर के अन्य सदस्य कुछ कमाते हैं, इस वजह से चल जाता है. वैसे भी कई मजदूर हैं जिनके घर की स्थिति काफी खराब होती है.
वेतन के मामले में स्थायी व्यवस्था निगम में कभी भी नहीं रही. हर कुछ महीने पर हड़ताल की नौबत आती है. हर बार हड़ताल के बाद कुछ भुगतान होता है.’ यह कहते हुए निगम के लिए ट्रैक्टर चलानेवाले सोनू कुमार अपनी नाराजगी जताते हैं. दूसरे कर्मचारी भी इसी तरह नाराज हैं. पिछले कई वर्षो से वेतन पर माहौल गरमाता रहा है. लेकिन, अब तक कोई रास्ता भी नहीं निकल पाया है. इस बीच निगम में कर्मचारियों के बकाये वेतन के मद में 12 करोड़ रुपये के बकाये की तपिश बीच-बीच में आमलोगों को ङोलनी पड़ रही है. एक बार फिर ऐसा ही दौर शुरू भी हो गया है.
समस्या निगम की, भुगत रहे आमलोग: बकाये वेतन को लेकर एक बार फिर निगम कर्मचारी हड़ताल पर हैं. अभी महज दो ही दिन हुए है कि शहर की सफाई व्यवस्था चरमरा गयी है. शहर में हर रोज लगभग 250 मीट्रिक टन कचरा निकलता है. इस प्रकार दो दिनों में 500 मीट्रिक टन कचरा शहर में पैदा हो चुका है. इसमें रोज 250 टन जुड़ जायेगा. सहज ही अनुमान लगाया जा सकता है कि आनेवाले कुछ दिनों में शहर किस दुर्दशा को पहुंचनेवाला है. इसी बीच कई इलाकों में कूड़े के ढेर से लोग परेशान हैं. यानी निगम की समस्या का दंश आमलोगों को ङोलना पड़ रहा है. करदाता नागरिक उसके शिकार हो रहे हैं.