मरीजों की संख्या बढ़ी, करना होगा और इंतजाम
गया : ठंड ने अपने तेवर दिखाने शुरू कर दिये हैं. सर्द हवाओं के कारण पारा लगातार गिर रहा है. कनकनी बढ़ती जा रही है. दिन हो या रात, आराम नहीं मिल रहा है. गर्म कपड़ों में भी कंपकंपी का अहसास हो रहा है. घरों में लोग रूम हीटर या रजाई-कंबल के जरिये ठंड से बच रहे हैं.
इधर, अस्पतालों में मरीजों की संख्या बढ़ने लगी है, लेकिन शहर के सरकारी अस्पतालों में भरती मरीजों का ठंड से बुरा हाल है. हालांकि, गिरते तापमान के बीच भरती मरीजों को ठंड से बचाने के लिए सरकारी अस्पताल प्रशासन ने कई उपाय किये हैं, लेकिन ये उपाय भी कम पड़ रहे हैं.
अस्पतालों में मरीजों को ठंड से बचने के लिए चादर व कंबल दिये जा रहे हैं, लेकिन साथ आये परिजनों के लिए कोई खास व्यवस्था नहीं की गयी है. हालांकि, सभी अस्पताल प्रशासन ने शीघ्र ही अलाव की व्यवस्था करने के संकेत दिये हैं.
दो साल बाद भी नहीं लगे शीशे
इन सबके बीच मेडिकल कॉलेज अस्पताल की तसवीर कुछ अगल है. अस्पताल भवन की खिड़कियों के शीशे टूटे हुए हैं, जो दो साल बाद भी नहीं लगाये गये. सर्द हवाएं टूटी खिड़कियों से वार्डो में प्रवेश कर जाती हैं. इससे मरीजों का मर्ज और बढ़ जाता है. उधर, अस्पताल की फर्श पर टाइल्स लगाये जा रहे हैं.
इधर,अंगरेज के जमाने में बने जयप्रकाश नारायण (जेपीएन) अस्पताल के कई वार्डो में आमने-सामने दरवाजे हैं. इनसे काफी हवा अंदर आती है. नतीजतन, मरीजों व उनके परिजनों का ठंड का सामना करना पड़ता है.
यहां पर चादर व कंबल सिर्फ मरीजों को दिये जा रहे हैं, लेकिन उनके परिजनों को कुछ नहीं दिया जाता है. प्रभावती अस्पताल में भी स्थिति ऐसी ही दिखी.