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प्याज की खेती कर लाखों की कमाई कर रहे मदनपुर के किसान, मूंग व उड़द की खेती लाभप्रद

गोपालगंज: रबी खरीफ के बीच मूंग व उड़द की खेती ‘आम-के-आम गुठलियों के दाम’ वाली कहावत को चरितार्थ करती है. मात्र 70-80 दिनों में प्रोटीन से भरपूर दलहन की एक अतिरिक्त फसल आय दे जाती है. दलहन कुल की फसल होने की वजह से इसकी जड़ों की गांठों में नाइट्रोजन स्थिरीकरण का गुण भी होता […]

गोपालगंज: रबी खरीफ के बीच मूंग व उड़द की खेती ‘आम-के-आम गुठलियों के दाम’ वाली कहावत को चरितार्थ करती है. मात्र 70-80 दिनों में प्रोटीन से भरपूर दलहन की एक अतिरिक्त फसल आय दे जाती है. दलहन कुल की फसल होने की वजह से इसकी जड़ों की गांठों में नाइट्रोजन स्थिरीकरण का गुण भी होता है.
फलियों को तोड़ने के बाद बाकी बची फसल को खेत में पलट देने से ये हरी खाद के रूप में भूमि की उर्वरता के लिए संजीवनी भी है. कृषि वैज्ञानिक राजेंद्र प्रसाद ने बताया कि कृषि विभाग की तरफ से हरी खाद के रूप में ढैंचा और मूंग का बीज उपलब्ध कराया जा रहा है. किसानों को विधिवत जानकारी भी दी जा रही है.
दोमट भूमि सबसे उपयुक्त : वैसे तो हर तरह की भूमि में इसकी खेती संभव है, पर दोमट भूमि सबसे मुफीद है. बेहतर जमाव के लिए पलेवा के बाद एक गहरी एवं दो हल्की जोताई के बाद बोआई करें. प्रति हेक्टेयर 20-25 किग्रा बीज का प्रयोग करें.

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