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सिलेबस व नकल की जड़ हंगामा

बोधगया: मगध विश्वविद्यालय (एमयू) में हाल ही में आयोजित फिजियाथेरेपी व पीजी (वनस्पति विभाग) की परीक्षाओं में परीक्षार्थियों ने उपद्रव व हंगामा किया था. इन मामलों की जांच में पता चला कि परीक्षा के दौरान नकल पर रोक लगाने के लिए कड़ाई की गयी, तो परीक्षार्थियों ने इसका जबरदस्त विरोध किया. उल्लेखनीय है कि विगत […]

बोधगया: मगध विश्वविद्यालय (एमयू) में हाल ही में आयोजित फिजियाथेरेपी व पीजी (वनस्पति विभाग) की परीक्षाओं में परीक्षार्थियों ने उपद्रव व हंगामा किया था. इन मामलों की जांच में पता चला कि परीक्षा के दौरान नकल पर रोक लगाने के लिए कड़ाई की गयी, तो परीक्षार्थियों ने इसका जबरदस्त विरोध किया. उल्लेखनीय है कि विगत आठ फरवरी को रसायन विज्ञान विभाग में आयोजित फिजियोथेरपी की परीक्षा के दौरान परीक्षार्थियों के उपद्रव से एमयू को काफी नुकसान हुआ था.
एमयू की ओर से मगध विश्वविद्यालय थाने में उपद्रव करनेवाले तीन विद्यार्थियों को चिह्नित करते हुए करीब 50 स्टूडेंट्स के खिलाफ एफआइआर दर्ज करायी गयी थी. इसी प्रकार का मामला एक पखवारा पहले एमयू के वनस्पति विज्ञान में आयोजित पीजी की परीक्षा के दौरान भी हुआ. इन घटनाओं के पीछे परीक्षार्थियों ने आरोप लगाया कि सिलेबस पूरा ही नहीं कराया, जबकि एमयू के अधिकारियों का कहना है कि परीक्षा के दौरान कड़ाई की गयी, तो परीक्षार्थियों ने विरोध कर दिया. अब सवाल है कि क्या भविष्य में एमयू में ऐसी ही व्यवस्था बनी रहेगी या इन घटनाअों की पुनरावृत्ति नहीं हो और सिलेबस पूरा कराने को लेकर सार्थक प्रयास किया जायेगा.
नकल अपराध, तो सिलेबस पूरा नहीं कराना भी अपराध
परीक्षा में नकल करना बिल्कुल गलत है. लेकिन, स्टूडेंट्स को सिलेबस पूरा कराने से संबंधित मूलभूत सुविधाएं देना भी जरूरी है. शिक्षकों द्वारा विद्यार्थियों से वर्क नहीं कराया जाता है. आखिर वे सिलेबस पूरा करने के लिए जायें तो कहां जायें. क्लास करने जाते हैं, तो वरीय शिक्षकों द्वारा जवाब दिया जाता है कि दो ही स्टूडेंट्स आयें हैं. अब अगले दिन अाना. एक-दो बिंदुओं पर संबंधित विषय में समझा दिया जाता है और कहा जाता है कि अमुक राइटर की किताब पढ़ लेना. किताबों के लिए लाइब्रेरी में जाते हैं, तो वहां नये एडिशन के किताबें ही नहीं हैं. अगर, विश्वविद्यालय में शैक्षणिक कैलेंडर पूर्ण रूप से लागू हो जाये, तो सिलेबस भी समय से पूरा हो जायेगा और परीक्षाओं में नकल भी कम होगा.
विश्वेश तिवारी, पीजी स्टूडेंट्स, कॉमर्स डिपार्टमेंट
सिलेबस पूरा नहीं होने का कारण शिक्षकों की कमी है. समय पर क्लास नहीं हो पाता है. क्लास रूम का भी अभाव है. परीक्षाओं में चोरी पर भी पूर्णत: रोक लग जायेगी, लेकिन शर्त है कि एमयू पूर्ण रूप से अपने दायित्वों का निर्वहन करे. प्राइवेट शिक्षकों से कोर्स कराया जाता है. लेकिन, उनमें शैक्षणिक कार्य क्षमता का भरपूर अभाव रहता है. कभी-कभी हालत तो होती है कि प्राइवेट शिक्षकों को स्टूडेंट्स से भी नॉलेज कम होता है. एमयू में काफी विद्वान शिक्षक हैं, लेकिन उन्हें एमयू में काफी ऊंचे-ऊंचे पदों पर आसीन कर प्रशासनिक कामकाज करने की जिम्मेवारी सौंप दी गयी है. वे क्लास नहीं ले पा रहे हैं. इससे भी एमयू में शैक्षणिक कामकाज प्रभावित हो रहा है.
सूरज सिंह, पीजी स्टूडेंट्स, एलएसडब्ल्यू डिपार्टमेंट
किसी भी सूरत में सिलेबस पूरा होना चाहिए. सिलेबस पूरा नहीं करना भी अपराध है और परीक्षा में चोरी करने की छूट देना भी अपराध है. दोनों ही मामले स्टूडेंट्स के हित में नहीं हैं. एमयू में नामांकन लेनेवाले छात्र इस स्थिति में रहते हैं कि वह अपने भविष्य के बारे में भला-बुरा सोच सकते हैं. उनसे अपेक्षा की जाती है कि वह खुद को धोखा नहीं दें और कदाचारमुक्त परीक्षा का समर्थन करें, ताकि जूनियर स्टूडेंट्स के बीच भी एक सार्थक मैसेज जा सके.
सौरभ कुमार, पीजी स्टूडेंट्स, एलएसडब्ल्यू डिपार्टमेंट

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