ऐसी मान्यता है कि कलश स्नान के बाद भगवान बीमार पड़ जाते हैं. ऐसे में 15 दिनाें के स्वास्थ्य लाभ के लिए मंदिर का पट बंद कर दिया जाता है. हालांकि इस बीच मंदिर के पुजारी ही केवल गर्भगृह में प्रवेश कर सकते हैं व भगवान काे भाेग लगा सकते हैं. भाेग के रूप में सुपाच्य व आैषधीय व्यंजन ही पराेसे जाते हैं.
कलश स्नान के लिए साेमवार काे बाेधगया क्षेत्र की सैकड़ाें महिलाएं व अन्य श्रद्धालु निरंजना नदी से कलश में जल भरकर जगन्नाथ मंदिर तक पहुंचे व उन्हें स्नान कराया गया. 108 कलश लिये श्रद्धालु जगन्नाथ मंदिर से कतारबद्ध निकले व निरंजना नदी में जाकर कुंड से जलभरी की. कलश स्नान व पूजन के बाद भंडारे का आयाेजन किया गया.