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अब तक आठ बच्चों की मौत, पर कारण किसी को पता ही नहीं
जिले में आठ बच्चों की मौत से जिला प्रशासन से लेकर स्वास्थ्य विभाग तक की बेचैनी बढ़ी है. मेडिकल एक्सपर्ट्स अब तक यह पता नहीं कर पाये हैं कि आठ बच्चों की मौत किस बीमारी से हुई है. गया : जिले में अब तक आठ बच्चों की मौत की वजह माने जा रहे एइएस के […]
जिले में आठ बच्चों की मौत से जिला प्रशासन से लेकर स्वास्थ्य विभाग तक की बेचैनी बढ़ी है. मेडिकल एक्सपर्ट्स अब तक यह पता नहीं कर पाये हैं कि आठ बच्चों की मौत किस बीमारी से हुई है.
गया : जिले में अब तक आठ बच्चों की मौत की वजह माने जा रहे एइएस के अज्ञात वायरस के बारे में अब तक विशेषज्ञ कुछ भी पता नहीं कर पाये हैं. एइएस श्रेणी की 18 बीमारियों के वायरस से अलग यह कौन सा नया वाइरस है, इस पर डॉक्टरों व मेडिकल एक्सपर्ट का मंथन जारी है.
इस पर विशेष चर्चा के लिए शनिवार को राज्यस्तर की अलग-अलग टीम गया पहुंची. टीम में शामिल विशेषज्ञों ने मगध मेडिकल काॅलेज अस्पताल में भरती बच्चों को देखा और इसके बाद अस्पताल प्रबंधन के साथ बैठक कर पूरी स्थिति पर चर्चा की. इधर, जिले के वैसे गांव, जहां से मामले आये हैं, वहां भी टीम जा रही है.
गया पहुंची अलग-अलग टीमों में एक में शिशुरोग विशेषज्ञ सह राज्य सरकार के स्वास्थ्य सलाहकार डाॅ निगम प्रकाश, पटना मेडिकल काॅलेज व अस्पताल के शिशुरोग विभागाध्यक्ष डाॅ एके जायसवाल, नालंदा मेडिकल काॅलेज व अस्पताल के शिशुरोग विभाग की अध्यक्ष डाॅ अलका शामिल हैं. दूसरी टीम में विश्व स्वास्थ्य संगठन के बिहार प्रमुख डाॅ विशेष व राज्य प्रतिरक्षण पदाधिकारी डाॅ एनके सिन्हा व तीसरी टीम में राजेंद्र मेमोरियल रिसर्च इंस्टीट्यूट के कई सदस्य मौजूद हैं.
जांच में लगे हैं विशेषज्ञ
राज्य प्रतिरक्षण पदाधिकारी डाॅ एनके सिन्हा ने कहा कि कारणों का अब तक पता नहीं चल सका है. कुछ साल पहले हुए टीकाकरण के बाद मामले कम हो गये थे, लेकिन एक बार फिर इस तरह के मामले सामने आ रहे हैं, तो यह गंभीर है. इसी को पता करने की कोशिश हो रही है. डाॅ सिन्हा ने कहा कि 28 लोगों की एक टीम को जिले व आसपास के वैसे इलाके, जहां से अब तक इस अज्ञात बीमारी के मरीज आये हैं, वहां भेजा गया है. उन्होंने कहा कि पूरी उम्मीद है कि उन जगहों से कुछ ऐसा जरूर मिल जायेगा, जिसकी मदद से उस अज्ञात वायरस के बारे में पता लगाया जा सके.
शायद गांव में कुछ मिल जाये : अस्पताल अधीक्षक
मगध मेडिकल काॅलेज अस्पताल के अधीक्षक डाॅ सुधीर कुमार सिन्हा ने भी अब तक उस अज्ञात वायरस के कोई संकेत नहीं मिलने पर चिंता जतायी. उन्होंने कहा कि राजेंद्र मेमोरियल रिसर्च इंस्टीट्यूट की मदद से जांच जारी है, लेकिन अब तक कोई सकारात्मक संकेत नहीं मिल सके हैं. उन्होंने कहा कि जल्द ही केंद्र से भी एक एक्सपर्ट की टीम आयेगी. सभी की मदद से इस बीमारी से निबटने के उपाय खोजे जायेंगे. उन्होंने कहा कि कुछ टीमें गांव में भी घूम रही है, इसी उम्मीद में कि वहां से कुछ संकेत मिल सके.
शिशुरोग विशेषज्ञ सह राज्य सरकार के स्वास्थ्य सलाहकार डाॅ निगम प्रकाश ने बताया कि एइएस सामान्य तौर पर मॉनसून या फिर नमी के मौसम में होता है. लेकिन, इस बार बीमारी के साथ ‘अज्ञात’ शब्द का जुड़ा होना चिंता का विषय है. उन्होंने कहा कि अब तक अस्पताल में जांच की जो प्रक्रिया चल रही है, वह बिल्कुल प्रोटोकाॅल के ही मुताबिक है, संतोषजनक है़
लेकिन, जो संतोषजनक नहीं है, वह यह है कि बच्चों की जल्द मौत हो जा रही है. उस अज्ञात वायरस को पहचाने के लिए तमाम वैज्ञानिक प्रक्रियाएं अपनायी जा रही हैं. कोशिश है कि जल्द से जल्द इस वायरस की पहचान कर ली जाये, ताकि इस बीमारी को कंट्रोल कर लिया जाये. उन्होंने कहा कि उन्हें पूरी उम्मीद है कि स्वास्थ्य विशेषज्ञ ऐसा बहुत जल्द कर लेंगे.
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