रनवे की मरम्मत की तैयारी में जुटा एयरपोर्ट ऑथोरिटी
गया एयरपोर्ट की स्थिति खतरनाक कलेंद्र प्रताप गया : अंतरराष्ट्रीय उड़ानों को ऑपरेट करनेवाले गया एयरपोर्ट की हालत खतरनाक बनती जा रही है. यहां से दिल्ली, कोलंबो, बैंकाक, यंगून, पारो व कोलकाता के लिए उड़ानें भरी जाती हैं. हज यात्री भी गया एयरपोर्ट से जेद्दा व मदीना के लिए आते-जाते हैं, पर एयरपोर्ट के रनवे […]
गया एयरपोर्ट की स्थिति खतरनाक
कलेंद्र प्रताप
गया : अंतरराष्ट्रीय उड़ानों को ऑपरेट करनेवाले गया एयरपोर्ट की हालत खतरनाक बनती जा रही है. यहां से दिल्ली, कोलंबो, बैंकाक, यंगून, पारो व कोलकाता के लिए उड़ानें भरी जाती हैं. हज यात्री भी गया एयरपोर्ट से जेद्दा व मदीना के लिए आते-जाते हैं, पर एयरपोर्ट के रनवे की हालत दयनीय हो चुकी है.
इसकी रिकार्पेंटिंग की दरकार भी आन पड़ी है. हालांकि, इसके लिए एयरपोर्ट ऑथोरिटी ने तैयारी भी शुरू कर दी है व आगामी एक से 23 नवंबर तक गया एयरपोर्ट के रनवे को दुरुस्त किया जायेगा. एयरपोर्ट निदेशक के अनुसार, गया की मिट्टी की गुणवत्ता के कारण रनवे की मिट्टी कई स्थानों पर धंस चुकी है. इससे रनवे समतल नहीं रह गया है. इसे रिकार्पेंटिंग कर ठीक किया जा सकता है.
उन्होंने बताया कि रनवे समतल नहीं होने से विमानों की लैंडिंग व उड़ान के वक्त विमान दुर्घटनाग्रस्त हो सकते हैं. उन्होंने बताया कि पिछली बार रनवे की रिकार्पेंटिंग का काम 2001 में हुआ था. इसके बाद से रनवे पर हजारों उड़ानें भरी गयीं.
500 स्क्वायर मीटर क्षेत्र है अधिक खराब : गया एयरपोर्ट के रनवे में पांच सौ स्क्वायर मीटर का क्षेत्र जर्जर हो चुका है.यहां की मिट्टी निकाल कर फिर से मिट्टी डाली जायेगी व रनवे की जरूरत के हिसाब से सतह तैयार किया जायेगा. इस दौरान लाइट व अन्य उपकरण भी लगाये जायेंगे. हालांकि, रिकार्पेंटिंग पूरे रनवे के साथ ही विमानों के पार्किंग क्षेत्र में भी की जायेगी. इस मद में 20 करोड़ रुपये खर्च करने की योजना तैयार कर ली गयी है व उसके लिए टेंडर भी निकाला जा चुका है.
निजी व विदेशी विमानन कंपनियां करती हैं परहेज: एयरपोर्ट के रनवे की हालत दुरुस्त नहीं होने की स्थिति में निजी व विदेशी विमानन कंपनियां विमानों के परिचालन से परहेज करती हैं. वह किसी भी तरह का रिस्क नहीं उठाना चाहते व विमान सेवा भी बहाल नहीं कर पाते हैं.
एयरपोर्ट निदेशक की मानें तो कई विमानन कंपनियों के पदाधिकारी यहां आते हैं व एयरपोर्ट की व्यवस्था का जायजा लेते हैं. अन्य सुविधाओं के अलावा रनवे की स्थिति सुदृढ़ होना सबसे जरूरी होता है. इसके कारण गया एयरपोर्ट के रनवे को ठीक करना हमारी प्राथमिकी है. हालांकि, नवंबर में गया एयरपोर्ट कई देशों की विमान सेवा से जुड़ जाता है, पर शिड्यूल के अनुसार आगामी फरवरी में भी विमानों की आवाजाही की संख्या ज्यादा है.
जलजमाव के कारण बढ़ी परेशानी
गया एयरपोर्ट परिसर से जल निकासी की मुकम्मल व्यवस्था नहीं होने के कारण यहां जलजमाव की समस्या बरकरार है. परिसर में जलजमाव होने से पक्षियों का आना-जाना लगा रहता है व कभी भी पक्षियों के झुंड या अकेला पक्षी विमानों से टकरा सकता है. पक्षियों के विमानों से टकराने की स्थिति में बड़ा हादसा भी हो सकता है. साथ ही बारिश का पानी बाहर नहीं निकलने की स्थिति में रनवे पर भी पानी जमा हो सकता है, जो विमानों की लैंडिंग व उड़ान भरने के वक्त खतरनाक साबित हो सकता है.
हालांकि, एयरपोर्ट परिसर से जलनिकासी की व्यवस्था करने की जिम्मेवारी गया नगर निगम को सौंपी गयी थी, पर करीब एक वर्ष गुजरने के बाद भी नगर निगम की ओर से इस दिशा में कोई काम नहीं किया गया. नगर आयुक्त विजय कुमार ने बताया कि जलनिकासी के लिए ड्रेनेज बनाने की योजना पर डुडा (जिला शहरी विकास अभिकरण) को काम करने को कहा गया था. उन्होंने बताया कि डुडा के कार्यपालक अभियंता की बदली हो जाने के कारण काम नहीं हो सका. उन्होंने बताया कि अब दूसरे कार्यपालक अभियंता आये हैं व इस दिशा में पहल की जायेगी.
मकान बनाने के लिए एनओसी जरूरी
एयरपोर्ट क्षेत्र में नये भवनों के निर्माण से पहले एयरपोर्ट ऑथोरिटी से एनओसी भी लेना पड़ता है. साथ ही संबंधित नगर निकाय व अंचल कार्यालय से भी इसके लिए अनापत्ति प्रमाणपत्र लेना अनिवार्य है.
एयरपोर्ट के डायरेक्टर दिलीप कुमार ने बताया कि एयरपोर्ट प्राधिकरण ने एयरपोर्ट के आसपास के क्षेत्रों में भवन निर्माण के लिए अलग-अलग दूरी पर अलग-अलग ऊंचाई तक के निर्माण का मानक तैयार किया हुआ है, जिससे विमानों की लैंडिंग व उड़ान भरने में किसी तरह की परेशानी न हो सके. निदेशक ने बताया कि फिलहाल यहां निर्माण कार्य तो किये जा रहे हैं, पर एनओसी लेने के प्रति कोई भी गंभीर नहीं दिखते हैं. इससे यहां बड़ी व विदेशी कंपनियों के विमानों की आवाजाही में परेशानी हो सकती है.