”अज्ञात” ने अभी पीछा छोड़ा नहीं, जेइ ने भी दे दी दस्तक

और बढ़ी चिंता. जिले में जापानी इनसेफ्लाइटिस का भी मिला मामला मगध मेडिकल कॉलेज अस्पताल में अभी अज्ञात बीमारी का कहर थमा ही नहीं था कि जापानी इनसेफ्लाइटिस की भी इंट्री हो गयी. इससे स्वास्थ्य विभाग के माथे पर और बल पड़ने लगा है. वजीरंगज के मोतीबिगहा के संजीवन मांझी की दो साल की बेटी […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | July 16, 2016 8:16 AM
और बढ़ी चिंता. जिले में जापानी इनसेफ्लाइटिस का भी मिला मामला
मगध मेडिकल कॉलेज अस्पताल में अभी अज्ञात बीमारी का कहर थमा ही नहीं था कि जापानी इनसेफ्लाइटिस की भी इंट्री हो गयी. इससे स्वास्थ्य विभाग के माथे पर और बल पड़ने लगा है.
वजीरंगज के मोतीबिगहा के संजीवन मांझी की दो साल की बेटी में जेइ के लक्षण
गया : मगध मेडिकल कॉलेज अस्पताल में इतने दिनों से अज्ञात बीमारी से मरनेवाले और लगातार भरती हो रहे बच्चों की संख्या से स्वास्थ्य विभाग की परेशानी व चिंता कम भी नहीं हुई थी कि उन्हीं भरती बच्चों में एक में जापानी इनसेफ्लाइटिस (जेइ) की पुष्टि ने टेंशन बढ़ा दिया है.
मगध मेडिकल काॅलेज अस्पताल में इलाज के लिए 13 जुलाई को भरती वजीरंगज के मोतीबिगहा के संजीवन मांझी की दो साल की बेटी रूपा कुमारी में जापानी इनसेफ्लाइटिस के लक्षण पाये गये हैं. माइक्रोबायलॉजी लैब से शुक्रवार को आयी रिपोर्ट में इस बच्ची में जापानी इनसेफ्लाइटिस के वायरस पाये गये हैं. फिलहाल, उसका इलाज चल रहा है.
हालांकि, जापानी इनसेफ्लाइटिस को डॉक्टर अब कोई गंभीर चुनौती नहीं मान रहे हैं. बीते कई वर्षों से जिले में माॅनसून के दौरान जापानी इनसेफ्लाइटिस के मामले आते रहे हैं. अस्पताल प्रबंधन का कहना है कि इस बीमारी से निबटने के लिए पर्याप्त संसाधन मौजूद हैं. साथ ही, इसके इलाज के लिए डाॅक्टर भी अभ्यस्त हो गये हैं.
अज्ञात बीमारी का भी थम नहीं रहा कहर : इधर, मगध मेडिकल कॉलेज अस्पताल में अज्ञात बीमारी से पीड़ितों के भरती होने का सिलसिला थम नहीं रहा है. 14 जुलाई को भरती हुए सुखेंद्र मांझी के पांच साल के बेटे चिंटू कुमार की रिपोर्ट में बीमारी का पता नहीं चल सका है. उसका भी इलाज चल रहा है. इस बीच अज्ञात बीमारी से ही पीड़ित वजीरगंज के कुर्किहार के मिथिलेश विश्वकर्मा की सात साल की बेटी छोटी कुमारी की सेहत में सुधार के बाद उसे शुक्रवार को अस्पताल से छुट्टी दे दी गयी. वह नौ जुलाई से अस्पताल में भरती थी.

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