हेपेटाइटिस : सावधानी व जागरूकता से ही बचाव संभव

गया: हेपेटाइटिस-बी व सी की गिनती आज विश्व की प्रमुख बीमारियों में हो रही है. देश की आबादी के लगभग तीन से चार प्रतिशत हिस्से के हेपेटाइटिस-बी से संक्रमित होने का अनुमान है. विश्व में लगभग 35 करोड़ लोग हेपेटाइटिस-बी वायरस शिकार हैं. भारत में यह संख्या चार करोड़ है. यह माना जाता है कि […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | July 28, 2016 8:34 AM
गया: हेपेटाइटिस-बी व सी की गिनती आज विश्व की प्रमुख बीमारियों में हो रही है. देश की आबादी के लगभग तीन से चार प्रतिशत हिस्से के हेपेटाइटिस-बी से संक्रमित होने का अनुमान है. विश्व में लगभग 35 करोड़ लोग हेपेटाइटिस-बी वायरस शिकार हैं. भारत में यह संख्या चार करोड़ है.
यह माना जाता है कि हर साल एक लाख लोगों की मौत हेपेटाइटिस-बी से हो जाती है. पांच प्रकार के हेपेटाइटिस में बी व सी सबसे सामान्य हैं. साथ ही, सबसे खतरनाक भी. बुधवार को मगध मेडिकल काॅलेज के आॅडिटोरियम में दवा बनानेवाली कंपनी सिपला की ओर से हेपेटाइटिस अवेयरनेस प्रोग्राम का आयोजन किया गया. मुख्य वक्ता के तौर पर मौजूद इंदिरा गांधी आर्युविज्ञान संस्थान के डीन सह गैस्ट्रोलॉजी विभाग के अध्यक्ष डाॅ अमरेंद्र कुमार मौजूद थे.

उन्होंने हेपेटाइटिस के संबंध में अपने पूरे रिसर्च को विस्तार से सभी के सामने पेश किया. उन्होंने कहा कि इस बीमारी को खत्म करने के लिए केंद्र सरकार के स्तर पर पोलियो की तरह ही मुहिम चलाने की जरूरत है. देशभर में टीकाकरण किया जाना होगा, क्योंकि हेपेटाइटिस काफी तेजी से फैल रहा है. आनेवाले समय में यह बहुत बड़े खतरे के रूप में सामने आ जायेगा. डाॅ कुमार ने ताइवान का उदाहरण दिया. उन्होंने बताया कि ताइवान सरकार ने युद्धस्तर पर टीकाकरण कराया. उन्होंने सभा में मौजूद सभी डाॅक्टर व छात्रों को इस बीमारी को लेकर लोगों को जागरूक करने की अपील की. कार्यक्रम में मगध मेडिकल काॅलेज के प्राचार्य डाॅ सुशील कुमार महतो, सर्जरी विभाग के अध्यक्ष डॉ महेश चौधरी, मेडिसिन विभाग के अध्यक्ष डाॅ एसके रजक, डाॅ एसएन सिंह, डाॅ एके झा सुमन व सिपला कंपनी के मैनेजर अमित कुमार मौजूद थे.

सावधानी बेहद जरूरी
डाॅ कुमार ने कहा कि हेपेटाइटिस के सभी प्रकारों में हेपेटाइटिस-बी व हेपेटाइटिस-सी सबसे अधिक खतरनाक व सबसे अधिक लोगों में पायी जानेवाली बीमारी है. ऐसे में प्रभावित व्यक्ति को तो अपने स्वास्थ्य का ध्यान रखना ही चाहिए. साथ ही, सावधान भी रहना चाहिए. उन्होंने कहा कि हेपेटाइटिस से पीड़ित महिला से जन्मे बच्चे को 12 घंटे के भीतर टीका लगाया जाना चाहिए. इसके अलावा पीड़ित व्यक्ति को शराब से दूर रहना चाहिए. मोटापा व डायबिटिज भी लिवर को नुकसान पहुंचा सकते हैं. इसके अलावा हर तीन से छह महीने में लिवर की जांच करा लेनी चाहिए.
राज्यस्तर पर शुरू हुई जागरूकता
इधर, दवा कंपनी सिपला के मैनेजर अमित कुमार ने बताया कि कंपनी के स्तर पर राज्य के कई जिलों हेपेटाइटिस को लेकर जागरूकता अभियान शुरू किया गया है. इसी कड़ी में गया में यह पहली शुरुआत है. आगे और भी कई कार्यक्रम आयोजित किये जाने हैं. इनमें रैली, टीकाकरण व जागरूक करने के और भी कई प्रयोग होंगे.

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