Advertisement
कभी ऊब-डूब कभी सुख-रुख, अजब के भादो महीना
गया : गया जिला हिंदी साहित्य सम्मेलन भवन में काव्य संध्या की 123वीं कड़ी में शनिवार की शाम कवियाें ने अपनी-अपनी रचनाएं पेश कीं. अध्यक्षता सम्मेलन के सभापति गाेवर्द्धन प्रसाद सदय ने की. काव्य संध्या का शुभारंभ चंद्रदेव प्रसाद केसरी ने गणेश वंदना- ‘सुमिराै हे भगवान उमासुत, सुंदर बदनम विघ्नाै हरनम, हे लंबाेदरम हाै तेरी […]
गया : गया जिला हिंदी साहित्य सम्मेलन भवन में काव्य संध्या की 123वीं कड़ी में शनिवार की शाम कवियाें ने अपनी-अपनी रचनाएं पेश कीं. अध्यक्षता सम्मेलन के सभापति गाेवर्द्धन प्रसाद सदय ने की. काव्य संध्या का शुभारंभ चंद्रदेव प्रसाद केसरी ने गणेश वंदना- ‘सुमिराै हे भगवान उमासुत, सुंदर बदनम विघ्नाै हरनम, हे लंबाेदरम हाै तेरी शरणम…’, डॉ राकेश कुमार सिन्हा रवि ने भादाे महीने पर कविता पढ़ी- ‘कभी ऊब-डूब, कभी सुख-रूख, अजब के भादाे महीना, धूप अइसन कड़कड़ कि चुअ हाे अभीयाे पसीना…’, मुंद्रिका सिंह ने गजल सुनायी- ‘सभ्यता, संस्कृति, संस्कार हम छाेड़ते जा रहे, माता-पिता से मुंह अपना माेड़ते जा रहे…’,
कवि काैशलेश ने फसल गीत सुनाया- ‘चल सजनी देखे जजात गे…’, गजेंद्र लाल अधीर ने सुनाया- ‘अजब यह सुहानी डगर, क्या कहें हम, जहां से चले थे, वहीं खड़े हम…’, विजय कुमार सिन्हा ने प्रणय गीत सुनाया- ‘मैं तुम्हारे प्यार के इस बाेझ काे, हर गली, हर माेड़ पर ढाेता रहूंगा…’, संजीत ने ‘इनसान वही जाे खुद में इनसान काे गढ़ता है…’,
किरण बाला ने शिव की आराधना की ‘नित उठी गाैरा शिव के मनावलन…’, विनाेद कुमार व्यंग्य सुनाया- ‘डिजिटल इंडिया का सपना रखते, लेकिन आफत दाल-राेटी पर बरकरार है’. बैजू सिंह ने चाैहट गाया- ‘बाबा माेर बिआही देलन गंगाजी के टिअर, जहां उपजई मड़ुआ-मकई…’इस माैके पर जैनेंद्र कुमार मालवीय, डॉ मन्नान अंसारी, नंद किशाेर सिंह, राजीव गंजन, खालिक हुसैन परदेशी, उपेंद्र सिंह, सुरेंद्र सिंह सुरेंद्र, अरुण हरलीवाल, सुमंत, वासुदेव प्रसाद व शिव प्रसाद सिंह मुखिया समेत अन्य माैजूद थे
Prabhat Khabar App :
देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए
Advertisement