” 250 किलाे बिका अगस्त का फूल
गया: चार दिवसीय सूर्योपासना के पर्व छठ की तैयारी अंतिम चरण में है. ज्यों-ज्यों छठ पर्व नजदीक आ रहा है त्यों-त्यों बाजारों में रौनक बढ़ रही है और साथ ही बढ़ रहे हैं सामानों के दाम भी. दुकानदार छठ में ही अधिक कमाई कर लेना चाहते हैं क्योंकि उन्हें पता है कि सामान कितना भी […]
गया: चार दिवसीय सूर्योपासना के पर्व छठ की तैयारी अंतिम चरण में है. ज्यों-ज्यों छठ पर्व नजदीक आ रहा है त्यों-त्यों बाजारों में रौनक बढ़ रही है और साथ ही बढ़ रहे हैं सामानों के दाम भी. दुकानदार छठ में ही अधिक कमाई कर लेना चाहते हैं क्योंकि उन्हें पता है कि सामान कितना भी महंगा हो छठव्रती खरीदेंगे ही. अब अगस्त के फूल को ही ले लिया जाए. अगस्त का फूल गुरुवार को 250 रुपये किलो की दर से बिका. अगस्त के फूल का बचका (पकौड़ी) बनाकर भगवान भास्कर को चढ़ाने का विधान है इसलिए महंगा होने के बावजूद छठव्रतियों ने गुरुवार को अगस्त के फूल खरीदे.
छठ पूजा शुक्रवार से औपचारिक रूप से शुरू हो रहा है. शुक्रवार को नहाय-खाय और शनिवार काे खरना (लाेहंडा) है. छठ व्रत का मगध में काफी महत्व है. नहाय-खाय काे लेकर गुरुवार को मिट्टी के बरतन, चूल्हे, आम की लकड़ी, अरबा चावल, चने की दाल, लाैकी (कद्दू) व अगस्त के फूल की खूब डिमांड रही.
नहाय-खाय के दिन छठव्रती स्नान कर भगवान भास्कर की वंदना करते हैं और मिट्टी के चूल्हे पर मिट्टी के या फिर कांसे अथवा पीतल के बरतन में पके अरबा चावल , चने की दाल, साग, लाैकी की सब्जी, अगस्त के फूल का बचका (पकाैड़ी) और धनिये की चटनी उन्हें भोग लगाते हैं. गया के बाजारों में गुरुवार को अगस्त के पूल के अलावा कद्दू (लाैकी) 20 से 30 रुपये प्रति पीस, कतरनी चावल-50-60 रुपये प्रति किलाे, साेनम चावल-40-50 रुपये प्रति किलाे व अरबा चावल 30-40 रुपये प्रति किलाे, चने की दाल 150 रुपये प्रति किलाे, मिट्टी का चूल्हा 20-30 रुपये प्रति चूल्हा, आम की लकड़ी-35 से 40 रुपये प्रति किलाे की दर से बिके. गेहूं के शुद्ध आटे, गुड़, घी व पूजन सामग्री की दुकानाें पर भी काफी भीड़ रही. पूजन सामग्रियों के साथ ही कपड़ों की दुकानाें में भी चहलपहल देखी गयी. चूंकि शुक्रवार के नहाय-खाय के लिये गुरुवार को ही खरीदारी की गयी और ग्रामीण इलाकों से भी लोग बाजारों में आये इसलिए मंडी तक जाने वाली सड़कों पर जाम जैसा नजारा रहा और लोगों को गंतव्य तक पहुंचने में वक्त लगा.