चट्टान को उड़ाने में लगेंगे सात दिन अॉपरेशन. दूसरे दिन भी जारी रही ब्लास्टिंग
70 लाख रुपये खर्च होने की संभावना प्रमंडलीय आयुक्त के साथ जिले के वरीय अधिकारियों की मौजूदगी में कराया गया विस्फोट गया : सीएमएफआरआइ, धनबाद के वैज्ञानिकों ने रविवार की दोपहर दो बजे ब्लास्ट कर खतरनाक बनी ब्रह्मयोनि पहाड़ी से खिसक रही चट्टान को 10 मिलीमीटर तोड़ दिया. इसके लिए शनिवार से ही वैज्ञानिकों की […]
70 लाख रुपये खर्च होने की संभावना
प्रमंडलीय आयुक्त के साथ जिले के वरीय अधिकारियों की मौजूदगी में कराया गया विस्फोट
गया : सीएमएफआरआइ, धनबाद के वैज्ञानिकों ने रविवार की दोपहर दो बजे ब्लास्ट कर खतरनाक बनी ब्रह्मयोनि पहाड़ी से खिसक रही चट्टान को 10 मिलीमीटर तोड़ दिया. इसके लिए शनिवार से ही वैज्ञानिकों की देखरेख में 21 जगह पर ड्रिल कर चट्टान में विस्फोटक डाला गया था. इस पूरी प्रक्रिया का नेतृत्व कर रहे प्रधान वैज्ञानिक सीसी लियानो ने बताया कि चट्टान 200 टन की है. इसे पूरी तरह तोड़ने में सात दिनों से अधिक का समय लगेगा. यह प्रक्रिया पूरी करने में देरी इसलिए हुई कि पत्थर के आसपास आबादी है. सभी को हटाना व यहां पहाड़ी पर संसाधन पहुंचाना बहुत कठिन था. हालांकि, इसके बावजूद रविवार को सफलतापूर्वक प्रथम दौर का काम पूरा कर लिया गया. कंट्रोल ब्लास्ट किया गया.
वैज्ञानिक लियानो के मुताबिक, विस्फोट के लिए सबसे पहले तीन लेयर पर तार की जाली से घेरा बना कर एक लेयर का कुछ दूरी पर लोहे का जाल लगाया गया. इसके बाद पूरा इलाका खाली करा कर अधिकारियों की मौजूदगी में ब्लास्ट की प्रक्रिया पूरी की गयी. इस मौके पर प्रमंडलीय आयुक्त लियान कुंगा ने बताया कि धीरे-धीरे कर ब्लास्ट को नष्ट कर दिया जायेगा. रविवार को प्रथम फेज में पूरी सुरक्षा के साथ ब्लास्ट कराया गया है. यह प्रक्रिया चार बार में पूरी हो जायेगी. इसमें लगभग 70 लाख रुपये खर्च की संभावना है. डीएम कुमार रवि ने कहा कि इस विस्फोट के समय नागरिक सुरक्षा का ख्याल रखा गया. आवासीय क्षेत्र को पूरी तौर से खाली करा लिया गया. वैज्ञानिक स्तर पर सुरक्षा के दृष्टिकोण से हर बारीकी पर काम किया गया. रविवार के ब्लास्ट के समय मगध प्रमंडल आयुक्त लियान कुंगा, डीएम कुमार रवि, एसएसपी गरिमा मलिक, खनन पदाधिकारी सुरेंद्र प्रसाद, एसडीओ विकास जायसवाल, बीडीओ संजीव कुमार, सीओ विजय कुमार सिंह व सिविल लाइन थानाध्यक्ष जमील असगर के साथ भवन निर्माण व अन्य संबंधित विभाग के अधिकारी मौजूद थे. गौरतलब है कि विगत पांच सितंबर को पहाड़ी से चट्टान खिसकने की सूचना पर स्थानीय लोगों में दहशत फैल गयी व प्रशासन के भी हाथ-पांव फूलने लगे थे. आनन-फानन में पूरे इलाके को खाली कराया गया. आठ सितंबर को मुख्यमंत्री ने गया पहुंच कर अधिकारियों को आवश्यक दिशा-निर्देश देते हुए यहां के निवासियों को जगह खाली कर, अस्थायी विस्थापन शिविर गया कॉलेज में जाने का आग्रह किया था. इसके बाद रविवार को पहला ब्लास्ट कर चट्टान के कुछ हिस्से को नष्ट किया गया है. आसपास के लोगों को गया कॉलेज के मानविकी भवन में रखा गया है.
घनी आबादी के कारण ऑपरेशन पूरा करने में हो रही देरी