बढ़ती गयीं कॉलोनियां, पर थमता गया क्षेत्र का विकास
गया: वार्ड नंबर 29 में कई मुहल्ले आज भी ऐसे हैं, जिन्हें नगर निगम में होने का सिर्फ नाम मिला है. वार्ड में विकास के काम कुछ मुहल्लों में कराये गये हैं. निगम की ओर से मिलनेवाली विकास योजनाओं के रुपये इतने कम दिये गये हैं कि कई गांवों को पेयजल सुविधा, रोड-नाली व लाइट […]
गया: वार्ड नंबर 29 में कई मुहल्ले आज भी ऐसे हैं, जिन्हें नगर निगम में होने का सिर्फ नाम मिला है. वार्ड में विकास के काम कुछ मुहल्लों में कराये गये हैं. निगम की ओर से मिलनेवाली विकास योजनाओं के रुपये इतने कम दिये गये हैं कि कई गांवों को पेयजल सुविधा, रोड-नाली व लाइट से महरूम रखा गया है. लोगों ने बताया कि पिछले पांच साल में शहर इसी क्षेत्र में बढ़ा है.
इन जगहों का एक मुश्त विकास नगर निगम से कराया जाना संभव नहीं है. इसके लिए सरकार को एक बार कार्ययोजना तैयार कर विकास करना होगा. लोगों ने बताया कि अन्य वार्डों की तुलना में यहां आवास योजना, लाइट व शौचालय निर्माण का आदेश अधिक लोगों को दिया गया है. कई मुहल्लों के लोग वर्तमान पार्षद के कामकाज से संतुष्ट दिखे, तो कई नाराज भी. पार्षद का कहना है कि तीन हजार की आबादी वाले वार्ड व 14 हजार से अधिक आबादी वाले वार्ड में समान योजनाएं दी जाती हैं.सभी को संतुष्ट नहीं किया जा सकता.
वार्ड में जो मुहल्ले हैं शामिल: वार्ड के अंतर्गत काशीपुरा, सिहाड़ी, सैनिक कॉलोनी, कलेर, वीर कुंवर सिंह कॉलोनी, बिनोवानगर, शिवनगर, कृष्णानगर, मगध कॉलोनी, किशोरी मोहन कांपलेक्स, महावीर कॉलोनी, बुद्धा कॉलोनी, शास्त्रीनगर, रामनगर व रघुनाथ नगर आदि के साथ तीन स्लम भी हैं. इसमें एक स्लम विनोवा नगर में पक्के मकान व नाली-गली का निर्माण कराया गया है. अन्य दो स्लम बस्ती जेलप्रेस व सिहाड़ी में जमीन को लेकर विवाद होने के कारण एक भी विकास योजनाएं नहीं दी जा सकी.