‘पुराने बड़े नोट फाड़ें-फेंकें नहीं, लुटे हुए लोगों को दे दें’

गया: विगत आठ नवंबर को जब प्रधानमंत्री ने 1000 और 500 रुपये के पुराने नोटों के उपयोग को प्रतिबंधित किया, तब से आये दिन सुना जा रहा है कि लोग जहां-तहां पुराने नोट फाड़ रहे हैं, फेंक रहे हैं. कहीं चारा कल में रुपये काटे जा रहे हैं, तो कहीं नदी में बहाये जा रहे […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | December 14, 2016 8:14 AM
गया: विगत आठ नवंबर को जब प्रधानमंत्री ने 1000 और 500 रुपये के पुराने नोटों के उपयोग को प्रतिबंधित किया, तब से आये दिन सुना जा रहा है कि लोग जहां-तहां पुराने नोट फाड़ रहे हैं, फेंक रहे हैं. कहीं चारा कल में रुपये काटे जा रहे हैं, तो कहीं नदी में बहाये जा रहे हैं.

पर, इससे क्या फायदा होगा. इससे तो नोट बरबाद हो जायेंगे. जो फाड़ रहे हैं या फेंक रहे हैं, वे निश्चित तौर पर इन नोटों को रखने के लिए योग्य नहीं हैं. पर, जो गरीब हैं, जो सरकारी तंत्र और अफसरशाही के पेच में फंस कर लुटे हुए हैं, उनकी मदद तो हो ही सकती है. प्रेरणा ग्रामीण महिला विकास सहयोग समिति ट्रस्ट के अध्यक्ष अवधेश कुमार उपाध्याय ने 1000 व 500 रुपये के पुराने नोटों को फाड़ने और फेंकनेवालों से अपनी एक अपील में कहा है कि आम गरीब और गरीब महिलाओं के उन स्वयं सहायता समूहों को ऐसे नोटों से मदद मिल सकती है, जिनमें आगे बढ़ने की भूख-प्यास है.

वे लोग, जिनके बदलने से समाज बदलेगा, देश आगे बढ़ेगा. इन गरीबों की मदद तो ऐसे नोटों से हो ही सकती है. उनके मुताबिक, वह जिन लोगों की मदद की बात कर रहे हैं, वे ऐसे लोग हैं, जिन्हें लूटे जाने की कहानी सीएम-पीएम तक को पता होगी. अवश्य पता होगी, क्योंकि ऐसी कहानियां लिखे कागज के पुलिंदे इन राजनीतिक हस्तियों तक को भी जाते रहे हैं. यह भी वह स्वयं बार-बार भेज चुके हैं. श्री उपाध्याय ने कहा है कि गरीब और गरीबी के चलते समाज में उपेक्षित नागरिक आर्थिक रूप से बुरी तरह प्रताड़ित हैं. बैंकों, अफसरों व नेताओं ने इनकी कीमत पर जम कर अपना उल्लू सीधा किया है और इन्हें बुरी तरह खस्ताहाल कर छोड़ा है. ऐसे लोगों की मदद में अगर पुराने नोटों का उपयोग हो, तो यह भी देश के हित में होगा, समाज के हक में होगा. इससे भी अर्थव्यवस्था का भला ही होगा, नुकसान नहीं.

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