बोधगया के बिनाले में बिसुनदेव के लोकगीत ने मचाया धूम
गया : बिहार के गया जिले में स्थित बोधगया में पिछले एक सप्ताह से आयोजित बोधगया अंतरराष्ट्रीय कला उत्सव (बिनाले) का शनिवार को बड़े धूमधाम के साथ समापन हो गया. इस कला महोत्सव का समापन बिसुनदेव पासवान के लोकगीतों के साथ किया गया. समापन समारोह के मौके पर आयोजित कार्यक्रम में बिसुनदेव पासवान के लोकगीतों […]
गया : बिहार के गया जिले में स्थित बोधगया में पिछले एक सप्ताह से आयोजित बोधगया अंतरराष्ट्रीय कला उत्सव (बिनाले) का शनिवार को बड़े धूमधाम के साथ समापन हो गया. इस कला महोत्सव का समापन बिसुनदेव पासवान के लोकगीतों के साथ किया गया. समापन समारोह के मौके पर आयोजित कार्यक्रम में बिसुनदेव पासवान के लोकगीतों के सुरों ने खूब धूम मचाया. मधुबनी के लोकगायब बिसुनदेव पासवान ने गरीबों के मसीहा राजा सहलेस की वीरगाथाओं को शब्दों में पिरोकर मधुर सुरों के साथ इस तरह से प्रस्तुत किया कि उनकी इस प्रस्तुति ने बिनाले के समापन कार्यक्रम में उपस्थित कलाप्रेमियों को झूमने को मजबूर कर दिया. इसके साथ ही इस कार्यक्रम में स्कूली छात्रों ने नृत्य पेश कर लोगों का मन मोह लिया.
अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बनी पहचान
बोधगया में पिछले एक सप्ताह से आयोजित बिनाले कार्यक्रम के कला निदेशक व क्यूरेटर विनय कुमार ने बताया कि बोधगया में आयोजित अंतरराष्ट्रीय कला उत्सव के माध्यम से बिहार की ओर से लोक कला के क्षेत्र में अपनी पहचान बनाने का बेहतरीन प्रयास किया गया है. उन्होंने कहा कि भूमंडलीकरण के इस दौरान में स्थानीयता और लोक गीत-संगीत एवं लोक कला पर खतरा मंडरा रहा है. इस कार्यक्रम के माध्यम से हमने जीवन के बेहतरीन मूल्यों को तलाशने का प्रयास किया है. उन्होंने यह भी कहा कि इस कार्यक्रम को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर आम जीवन के वास्तविक मूल्यों को तलाशने का प्रमुख जरिया बनाया जा सकता है.
कई मिथकों को तोड़ा
इस कार्यक्रम में उपस्थित बांग्लादेश के जगन्नाथ विश्वविद्यालय के ललित कला विभाग के प्रोफेसर रशीद अमीन ने कहा कि बिनाले एक अंतरराष्ट्रीय कार्यक्रम है, जो कलाकारों, कला मर्मज्ञों और इसके संरक्षकों को प्रेरित करता है. आम तौर पर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर होने वाले कला कार्यक्रमों में आम लोगों की पहुंच न के बराबर होता है. बोधगया में आयोजित इस महोत्सव ने इस मिथक को भी तोड़ने का प्रयास किया है.