न्यायाधीश रहे छुट्टी पर नहीं हो सकी गवाही

आदित्य सचदेवा हत्याकांड अगली गवाही छह जनवरी को गया : अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश नवम सुरेश प्रसाद मिश्रा के अवकाश पर रहने के कारण आदित्य सचदेवा हत्याकांड की गवाही नहीं हो सकी. गवाह अदालत में उपस्थित था, लेकिन न्यायाधीश के नहीं होने से गवाही की प्रक्रिया टाल दी गयी. गवाही की अगली तारीख छह […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | January 4, 2017 6:38 AM

आदित्य सचदेवा हत्याकांड

अगली गवाही छह जनवरी को
गया : अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश नवम सुरेश प्रसाद मिश्रा के अवकाश पर रहने के कारण आदित्य सचदेवा हत्याकांड की गवाही नहीं हो सकी. गवाह अदालत में उपस्थित था, लेकिन न्यायाधीश के नहीं होने से गवाही की प्रक्रिया टाल दी गयी. गवाही की अगली तारीख छह जनवरी मुकर्रर की गयी है.
उल्लेखनीय है कि इस मामले में आदित्य सचदेवा के दोस्त अंकित कुमार, कैफी, आयुष कुमार समेत कुल पांच गवाहों की गवाही अदालत में पहले ही हो चुकी है. यही नहीं, रॉकी यादव के आवास पर तैनात एक सुरक्षा गार्ड का भी बयान लिया गया था. इनमें से किसी का भी बयान संतोषजनक नहीं पाया गया था, जिस कारण उन्हें पक्षद्रोही घोषित कर दिया गया था.
इस हत्याकांड के आरोपित रॉकी यादव, बिंदेश्वरी प्रसाद यादव उर्फ बिंदी यादव, अंगरक्षक राजेश कुमार व टेनी यादव हैं. रॉकी को छोड़ अन्य आरोपित जमानत पर बाहर हैं.
सांसद के पुत्र की जमानत याचिका दोबारा दाखिल : शराब पीकर हंगामा करने के आरोपित सांसद हरि मांझी के बेटे राहुल कुमार व रामाशीष मांझी की जमानत याचिका मंगलवार को जिला एवं सत्र न्यायाधीश सजल मंदिलवार की अदालत में दाखिल की गयी. गौरतलब है कि इससे पहले अपर मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी संजय कुमार की अदालत में भी जमानत याचिका दाखिल की गयी थी. अदालत ने याचिका रद्द कर दी थी. मगध मेडिकल थाना (कांड संख्या 229/16) क्षेत्र के मेडिकल कॉलेज के गेट पर शराब पीकर हंगामा करने के आरोप में पुलिस ने उन्हें गिरफ्तार किया था.
दो अधिवक्ताओं के निधन पर कार्य स्थगित : वरिष्ठ अधिवक्ता सरस्वती कुमार मिश्र व विनोद बिहारी प्रसाद के निधन के बाद मंगलवार को दोपहर बाद से अदालती कामकाज बंद रहा. अधिवक्ता सरस्वती कुमार कुमार मिश्र 25 मई 1968 से व्यवहार न्यायालय में प्रैक्टिस कर रहे थे. वह फौजदारी व अपर लोक अभियोजक के पद पर काम कर चुके हैं. श्री मिश्र बार एसोसिएशन के आजीवन सदस्य रहे. अधिवक्ता विनोद बिहारी प्रसाद 28 फरवरी 1970 से व्यवहार न्यायालय में अधिवक्ता के रूप में लोगों को सेवा दे रहे थे. वे दीवानी मामले व बार एसोसिएशन के स्थायी सदस्य रहे.

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