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अंत:करण में जगाएं प्रेम, मन को मिलेगी शांति : दलाई लामा
कहा- अंदर का क्लेश ही सभी दुखों का कारण बोधगया : बोधगया में आयोजित कालचक्र पूजा के पांचवें दिन दलाई लामा ने कहा कि अंत:करण में प्रेम जगाने के बाद मन को शांति मिलेगी व शांत मन के माध्यम से ही एकाग्रता आयेगी और आप सभी दुखों से निजात पा सकेंगे. कालचक्र मैदान में प्रवचन […]
कहा- अंदर का क्लेश ही सभी दुखों का कारण
बोधगया : बोधगया में आयोजित कालचक्र पूजा के पांचवें दिन दलाई लामा ने कहा कि अंत:करण में प्रेम जगाने के बाद मन को शांति मिलेगी व शांत मन के माध्यम से ही एकाग्रता आयेगी और आप सभी दुखों से निजात पा सकेंगे. कालचक्र मैदान में प्रवचन देते हुए दलाई लामा ने कहा कि व्यक्ति के अंदर का क्लेश ही सभी दुखों का कारण है. अंदर के क्लेश व दूसरों के प्रति दुर्भावना को शत्रु के समान समझ कर उसे खत्म करने का प्रयास करना चाहिए. यह एक दिन में संभव भी नहीं है, पर इसके लिए हर वक्त व निरंतर कोशिश की जानी चाहिए. उन्होंने कहा कि संपूर्णता में जीवन यापन के लिए अंतरात्मा से संवाद करनी चाहिए व मन के विकारों को दूर करना चाहिए. बौद्ध धर्मगुरु ने कहा कि दुनिया के सभी मानव समान हैं.
भेदभाव की भावना से मन में दुर्भावना पैदा होती है व इसके कारण मन अशांत हो जाता है और यहीं सभी तरह के दुखों का जड़ भी है. उन्होंने कहा कि प्रेम व करुणा से ही सुख की प्राप्ति संभव है. इसके लिए बोधिचित्त का अध्ययन करना होगा. लंबे समय तक इसके लिए साधना करना होगा.
भारत से सीख लें दुनिया के देश
धर्म की बात करते हुए दलाई लामा ने कहा कि सैकड़ों वर्षों से भारत में सभी धर्मों को माननेवाले लोग रह रहे हैं. यहां सभी धर्मों का सम्मान होता है व यह भारत की परंपरा भी रही है.
दलाई लामा ने कहा कि दूसरे देशों को भी भारत की परंपरा का अनुसरण करना चाहिए. हालांकि, धर्मगुरु ने इस बात का भी उल्लेख किया कि धर्म के नाम पर हत्या करना, किसी की बलि चढ़ाना न्यायोचित नहीं है. उन्होंने तिब्बत को बौद्ध धर्म का संरक्षक बताते हुए कहा कि चीन में भी काफी बौद्ध मठ हैं व अधिसंख्य लोग बौद्ध धर्म को मानने वाले हैं. धर्मगुरु ने कहा कि चीन के लोग भी हमारे मित्र हैं.
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