जजों के बीच बांटे गये जिले के थाने

गया: अब न्यायालय में मामलों का निबटारा तेजी से होगा. हाइकोर्ट के आदेश पर एक मार्च से गया व्यवहार न्यायालय में नयी प्रक्रिया शुरू होनेवाली है. इससे मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी (सीजेएम) कार्यालय का बोझ भी कम होगा. इस नयी योजना के तहत जिले के थानों व ओपी को मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी व न्यायिक दंडाधिकारियों के […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | February 23, 2014 8:53 AM

गया: अब न्यायालय में मामलों का निबटारा तेजी से होगा. हाइकोर्ट के आदेश पर एक मार्च से गया व्यवहार न्यायालय में नयी प्रक्रिया शुरू होनेवाली है. इससे मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी (सीजेएम) कार्यालय का बोझ भी कम होगा.

इस नयी योजना के तहत जिले के थानों व ओपी को मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी व न्यायिक दंडाधिकारियों के बीच बांट दिया गया है. साथ ही संबंधित थानों व ओपी के मामलों में संज्ञान लेने का अधिकारी सीजेएम के अलावा न्यायिक दंडाधिकारियों को भी दिया गया है. इस नयी कार्ययोजना से पुलिस पदाधिकारियों को भी सहूलियत होगी.

पहले जीआर नंबर जरूरी
थानों से कोर्ट में मामले आने के बाद पहले सीजेएम कार्यालय में जीआर नंबर दर्ज किया जायेगा, फिर उसे संबंधित न्यायिक दंडाधिकारियों के पास भेजा जायेगा. इससे सीजेएम कोर्ट में मामले का बोझ तो कम होगा ही साथ ही तेज गति से मामलों का निष्पादन होगा. इस बाबत जिला व सत्र न्यायाधीश विश्वेश्वर नाथ मिश्र ने मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी कौशलेश कुमार सिंह, सभी न्यायिक दंडाधिकारी, जिलाधिकारी, एसएसपी, बार एसोसिएशन सहित अन्य संबंधित पुलिस पदाधिकारियों को पत्र भेजा है. पुलिस अधीक्षक को जिम्मेवारी दी गयी है कि जिन मजिस्ट्रेट के अंदर में जो थाने हैं, वहां के थाना प्रभारी को बतायें, ताकि पुलिस पदाधिकारी व केस करने वाला को सहूलियत हो सके.

मामलों का बोझ होगा कम

कोर्ट सूत्र बताते हैं कि उच्च न्यायालय के आदेश के आलोक में अन्य न्यायिक दंडाधिकारियों को थानों के मामले में सुनवाई करने का अधिकार दिया गया है. इस तरीके से पटना में पिछले छह महीने से ही काम किया जा रहा है. इसका मुख्य उद्देश्य यही है कि सीजेएम कोर्ट में बढ़ रहे मामलों के बोझ को कम किया जा सके. इसके माध्यम से मामलों की सुनवाई भी तेज गति से हो सकेगी. न्यायिक दंडाधिकारी वैसे ही मामले में संज्ञान लेंगे जो धाराएं उनके लायक होंगे. यदि मामला किसी दूसरे कोर्ट का होगा तो वे उसे संबंधित कोर्ट में भेज देंगे. लेकिन, जिस मामले की वे सुनवाई करेंगे, उसमें जमानत देने, चाजर्शीट देखने व संज्ञान लेने आदि का उनका अधिकार होगा.

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