ऑपरेटर सर्विस बुक पर की गयी है ओवरराइटिंग
गया: शव वाहन खरीद मामले की जांच के दौरान कागजात पर ह्वाइटनर लगा कर चेचिस नंबर लिखे जाने का मामला प्रकाश में आया है. 10 सितंबर को क्रय समिति ने पटना के मौर्या मोटर्स से 16 लाख रुपये का शव वाहन खरीदने का निर्णय लिया था. 14 दिसंबर 2016 को वाहन नगर निगम पहुंचा. बिना […]
गया: शव वाहन खरीद मामले की जांच के दौरान कागजात पर ह्वाइटनर लगा कर चेचिस नंबर लिखे जाने का मामला प्रकाश में आया है. 10 सितंबर को क्रय समिति ने पटना के मौर्या मोटर्स से 16 लाख रुपये का शव वाहन खरीदने का निर्णय लिया था. 14 दिसंबर 2016 को वाहन नगर निगम पहुंचा. बिना जांच किये ही वाहन को निगम स्टोर में रिसीव कर लिया गया.
वाहन पुराना होने की बात पता चलने पर पार्षदों ने सवाल खड़े करने शुरू कर दिये. वाहन सप्लायार ने जो कागजात उपलब्ध कराये हैं, उसमें ह्वाइटनर लगा कर दोबारा खरीदार का नाम व चेचिस नंबर लिखा गया है. नगर आयुक्त ने वाहन के पुराने होने की खबर अखबार में छपने के बाद मौर्या मोटर्स को पत्र भेज कर साफ कहा कि कंपनी की ओर से भेजा गया वाहन पुराना प्रतीत हो रहा है. उन्होंने जमानत राशि जब्त कर मुकदमा दर्ज करने की भी बात कही. इसके अलावा एमवीआइ (मोटर यान निरीक्षक) को जांच कर रिपोर्ट करने का आदेश जारी किया.
एमवीआइ ने मांगा फॉर्म 21 व 22 : एमवीआइ ने अपना जांच प्रतिवेदन सौंपने से पहले फॉर्म 21 व 22 की मांग की. इसके लिए उन्होंने नगर आयुक्त को पत्र भेजा है. पत्र में उन्होंने कहा है कि वाहन जांच के क्रम में वाहन बिक्री पत्र नहीं दिया गया. इसके साथ ही, सेल इन्वाॅइस में बिक्री मूल्य शून्य दिखाया गया है. इसके साथ ही, ऑपरेटर सर्विस बुक, चेचिस नंबर लिखनेवाले कॉलम में ह्वाइटनर लगा कर नंबर लिखा गया है. एमवीआइ के पत्र मिलते ही नगर आयुक्त विजय कुमार ने मौर्या मोटर्स प्राइवेट लिमिटेड, पटना, के प्रबंधक को पत्र भेज कर शव वाहन का बिक्री पत्र फॉर्म 21 व 22 छह फरवरी तक निगम में उपलब्ध कराने का आदेश जारी किया है. गौरतलब है कि शव वाहन की खरीद के बाद 23 दिसंबर 2016 को ‘प्रभात खबर’ में ‘पैसे बचाने के चक्कर में लाया मृत शव वाहन’ शीर्षक से प्रमुखता से खबर छापी गयी. उसके बाद इस मामले में जांच का आदेश जारी किया गया है.