46 वर्ष में भी नहीं भर सके 1970 में स्वीकृत पद
सुस्त. निगम की चाल ऐसी कि कछुआ भी शरमा जाये गया : 1970 में नगरपालिका में 784 सफाई कर्मचारियों के पद स्वीकृत हुआ था. उस वक्त यहां महज 10 वार्ड थे. इसके बाद 32, फिर 40 व अब 53 वार्ड हैं. वार्डों की संख्या में तो बढ़ोतरी हुई, पर सफाई कर्मचारियों की संख्या में अब […]
सुस्त. निगम की चाल ऐसी कि कछुआ भी शरमा जाये
गया : 1970 में नगरपालिका में 784 सफाई कर्मचारियों के पद स्वीकृत हुआ था. उस वक्त यहां महज 10 वार्ड थे. इसके बाद 32, फिर 40 व अब 53 वार्ड हैं. वार्डों की संख्या में तो बढ़ोतरी हुई, पर सफाई कर्मचारियों की संख्या में अब तक इजाफा नहीं हो सका. अब भी महज 215 सफाईकर्मियों के सहारे ही काम चलाया जा रहा है. जानकारी के अनुसार, सफाई कर्मचारी की बहाली के लिए कई बार निगम के अधिकारियों ने विभाग को पत्र भेजा. पर, जवाब में विभाग से कहा जाता है कि किसी निजी कंपनी को सफाई की जिम्मेवारी दे दी जाये. हालांकि साफ-सफाई की जिम्मेवारी पहले प्राइवेट संस्था को दी गयी है, लेकिन शिकायतें और बढ़ गयीं.
विडंबना >> अनगिनत गलियां और महज 215 सफाईकर्मी !
शहर को सुंदर बनाने की बड़ी-बड़ी बातें की जाती हैं. लेकिन, व्यवस्था सुधारने पर कोई बात नहीं की जाती. निगम क्षेत्र में वार्ड 53 हैं और अनगिनत गलियां. लेकिन, इनकी साफ-सफाई के लिए महज 215 सफाईकर्मी ही कार्यरत हैं. हालांकि सफाई मजदूरों के 784 पद निगम में स्वीकृत हैं. किसी तरह से वार्डों में साफ-सफाई का काम चलाया जा रहा है. वार्ड पार्षद बोर्ड व स्टेंडिंग कमेटी की बैठक में हर बार मजदूर बढ़ाने की बात करते हैं. गौरतलब है कि 2007 में निगम क्षेत्र बढ़ाये जाने के बाद सफाई व्यवस्था पूरी तौर से चरमरा गयी है. कुछ सुदूर इलाकाें को भी निगम में शामिल किया गया है. गोपीबिगहा, गोविंदपुर व इक्कावनपुर आदि कई इलाके निगम क्षेत्र में शामिल किये गये हैं, पर यहां के लोग ग्रामीण परिवेश में ही जी रहे हैं.
आरोप >> जहां जरूरत नहीं, वहां दे दिये अधिक मजदूर : पार्षदों का आरोप रहता है कि कई वार्डों में जरूरत नहीं होने के बाद भी अधिक मजदूर दिये गये हैं. ऐसे में कई इलाकों में सफाई की बात तो दूर, लोग सफाई कर्मचारियों का चेहरा तक नहीं देखे सके हैं. नयी-नयी कॉलोनियों का निर्माण हो रहा है. यहां भी सफाई कर्मचारी नहीं पहुंच पाते हैं. संबंधित वार्ड पार्षद को हर रोज लोगों की आलोचनाओं का शिकार होना पड़ता है.
उपेक्षा >> वार्डों पर नहीं देते ध्यान : मानपुर के सात वार्डों से हर वक्त साफ-सफाई को लेकर उपेक्षा की शिकायत मिलती है. वार्ड पार्षदों का आरोप है कि उनके वार्ड में कूड़े का उठाव समय पर नहीं होता. इसके साथ ही जिस तरह से गया के मुख्य पथ पर अलग से सफाई के लिए कर्मचारी दिये गये हैं, उस तरह यहां नहीं दिये गये हैं. इसके साथ ही शहर के कुछ वार्ड में सामर्थ्यवान पार्षद अपनी ओर से मजदूर रखकर सफाई कराते हैं.
सफाईकर्मियों की कमी : रिहायशी इलाकों में भी कचरे का अंबार
फैक्ट्स : कितनी तेज ‘रफ्तार’ में चल रहा निगम
1970 में स्वीकृत हुए थे 784 सफाई कर्मचारियों के पद.
तब नगरपालिक के दायरे में 10 ही वार्ड थे.
नगरपालिका से नगर निगम बना.
पहले 32, फिर 40 और अब 53 वार्ड.
निगम के क्षेत्र का विस्तार हुआ.
कई नये इलाके भी जुड़े.
इन सबके बावजूद सफाईकर्मियों की संख्या हमेशा कम रही
बेबसी : सभी जगहों पर सफाई हर दिन करना संभव नहीं
पार्षद व अधिकारी जिस जगह पर सफाई करने के लिए कहते हैं, वहां हमलोग को जाना पड़ता है. वार्ड बड़ा होने के कारण सभी जगह पर सफाई हर दिन करना संभव नहीं हो पाता है. नाली सफाई व झाड़ू देने का काम इतने कम लेबर में कभी पूरा नहीं हो पाता है.
पिंटू कुमार, सफाई मजदूर
आलोचना : अपनी पीठ थपथपा रहे अधिकारी
शहर की बढ़ती आबादी के बाद भी निगम में सफाई कर्मचारी की संख्या घटती जा रही है. हर क्षेत्र में निगम के अधिकारी सिर्फ अपनी पीठ खुद थपथपा रहे हैं. शहर को सुंदर व स्वच्छ रखने के लिए निगम में नये संसाधन की खरीद की जा रही है. इनके संचालन के लिए हैंड पावर नहीं बढ़ाया जा रहा है. शहर में हर जगह नारकीय स्थिति बनी है. नगर निगम के बोर्ड में फैसला लेकर अपने आवश्यकता के अनुसार सफाई मजदूर रखने की स्वीकृति लेनी चाहिए.
बृजनंदन पाठक, समाजसेवी
सुझाव : जोन में बांट कर हो सफाई
शहर को तीन जोन में बांट कर तीन स्टोर बना दिया जाये. सभी जोन में प्रभारी नियुक्त कर दिया जाये, जो कामों पर नियंत्रण रख सकें. उस जगह से ही सफाई काम के लिए लेबर को भेजा जाये. मानपुर के कूड़ा उठाव के लिए जीआरडीए कार्यालय से गाड़ी आती है, जाम के कारण गाड़ी के यहां पहुंचते-पहुंचते समय ही समाप्त हो जाता है. इस कारण काम नहीं हो पाता है. जोन बांट कर काम होता, तो सफाई में इतनी किरकिरी निगम में नहीं होती.
इंद्रदेव विद्रोही, पूर्व पार्षद
बचाव : सरकार से नहीं मिला जवाब
सरकार को यहां की समस्या को लेकर स्पष्ट निर्देश जारी करना चाहिए. निगम का क्षेत्रफल बढ़ गया है, नयी-नयी कॉलोनियां बस रही हैं. मौजूदा संसाधन में शहर में साफ-सफाई व्यवस्था बेहतर है. नये-नये उपकरणों की खरीदारी कर और भी व्यवस्था सुदृढ़ करने का प्रयास किया जा रहा है. सरकार को सफाई कर्मचारी की संख्या बढ़ाने के लिए रिपोर्ट भेजी गयी है. इस संबंध में सरकार की ओर से कोई जवाब नहीं दिया गया है.
सोनी कुमारी, मेयर