अधिकार पाने के लिए आत्मनिर्भर होना जरूरी
गया: अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के मौके पर शहर में विभिन्न संगठनों ने कार्यक्रम आयोजित कर महिला सशक्तीकरण पर चर्चा की. इसमें बिहार राज्य आंगनबाड़ी सेविका-सहायिका संघ की ओर से महासंघ भवन में कार्यक्रम आयोजित किया गया. इस मौके पर जिलाध्यक्ष शोभा सिन्हा ने कहा कि समाज में महिलाओं पर हो रहे अत्याचार से निबटने व […]
गया: अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के मौके पर शहर में विभिन्न संगठनों ने कार्यक्रम आयोजित कर महिला सशक्तीकरण पर चर्चा की. इसमें बिहार राज्य आंगनबाड़ी सेविका-सहायिका संघ की ओर से महासंघ भवन में कार्यक्रम आयोजित किया गया. इस मौके पर जिलाध्यक्ष शोभा सिन्हा ने कहा कि समाज में महिलाओं पर हो रहे अत्याचार से निबटने व अपने अधिकार पाने के लिए आत्मनिर्भर होना होगा. आत्मनिर्भरता के बिना महिलाओं का विकास संभव नहीं है. इस मौके पर मंजू कुमारी, मधुबाला प्रसाद, रेणु देवी, सविता कुमारी, जयनंदन शर्मा, शशिभूषण प्रसाद, मोहम्मद युसुफ व दयाशंकर सिंह आदि मौजूद थे.
महिलाओं के साथ भेदभाव गंभीर : समर्पण संस्था द्वारा आयोजित कार्यक्रम में संयोजक डॉ संकेत नारायण सिंह ने कहा कि महिलाओं के प्रति समाज में आदर सत्कार का व्यवहार पैदा करना ही इस दिवस का सच्चा उद्देश्य है. महिलाएं मानव की जननी होती हैं. इनके साथ इसके बाद भी भेदभाव किया जाना गंभीर बात है. वयोवृद्ध साहित्यकार गोवर्द्धन प्रसाद सदय ने कहा कि महिलाओं के सशक्तीकरण के लिए सभी को पहल करनी चाहिए. इस मौके पर तृप्ति नारायण सिंह, धनेश कुमार सिंह, रामनारायण सिंह यादव, वैदेही यादव, अशोक चक्रवर्ती व नंदकिशोर प्रसाद आदि मौजूद थे.
महिलाओं का सशक्त होना जरूरी : आयुर्वेद चिकित्सा भवन गोलबगीचा में महिला दिवस पर संगोष्ठी का आयोजन किया गया. इस मौके पर मानवाधिकार संगठन से जुड़ी डॉ मृदुला मिश्रा ने कहा कि समाज का लक्ष्य महिलाओं को पुरुष की बराबरी में खड़ा करना नहीं, बल्कि महिलाओं का सशक्तीकरण होना चाहिए महिलाएं सशक्त होंगी, तो खुद-व-खुद वे पुरुष के बराबर पहुंच जायेंगी. मौके पर कुमारी रिंकी कश्यप, रजनी चावला, रंजना पांडेय, तसलीमा नाज, हेना परवीन, रीना सिंह व प्रमीला सिंह आदि मौजूद थी.
प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय, न्यू एरिया पीपरपांती, नूर कंपाउंड में भी इस मौके पर कार्यक्रम आयोजित किये गये. नूर कंपाउंड की केंद्र संचालिका ब्रह्माकुमारी शीला ने कहा कि नारी ही समाज की धुरी व संस्कृति की रक्षक होती है. महिलाओं को ऊंचाइयों पर पहुंचाये बिना विकसित समाज की परिकल्पना करना कोरी कहावत है. पीपरपांती की केंद्र संचालिका ब्रह्माकुमारी सुनीता ने कहा कि आज देश में कई महिलाओं ने अपने पराक्रम के बल पर अपनी पहचान बनायी है.