हाथों में कलम लेकर तुम अखबार संभालाे, जालिम से जाे बचना है…
कवि गोष्ठी व मुशायरे में शायरों ने पढ़ीं अपनी रचनाएं गया : माड़नपुर मुहल्ला स्थित महाबाेधि विद्यालय में साहित्य महापरिषद की आेर से रविवार काे आयाेजित कवि गाेष्ठी सह मुशायरे में शायरों ने अपनी रचनाओं से दर्शकों को बांधे रखा. सेफिरदाैस गयावी ने ‘हाथाे में कलम लेकर तुम अखबार संभालाे, जालिम से जाे बचना है, […]
कवि गोष्ठी व मुशायरे में शायरों ने पढ़ीं अपनी रचनाएं
गया : माड़नपुर मुहल्ला स्थित महाबाेधि विद्यालय में साहित्य महापरिषद की आेर से रविवार काे आयाेजित कवि गाेष्ठी सह मुशायरे में शायरों ने अपनी रचनाओं से दर्शकों को बांधे रखा.
सेफिरदाैस गयावी ने ‘हाथाे में कलम लेकर तुम अखबार संभालाे, जालिम से जाे बचना है, लाे तलवार संभालाे’ गजल पेश किया. वहीं, डॉ अब्दुल मन्नान अंसारी ने ‘हया के पानी से आंखें अगर बजू करतीं, तुम्हारे हुस्न का जेवर बदल गया हाेता, तुम अपने दिल काे जाे मसजिद बना लेते, गली-गली का ये पत्थर बदल गया हाेता’ सुना कर दर्शकों की तालियां बटोरीं. सुशील कुमार मिश्र ने ‘अगरचे इश्क की काेई नयी तहरीर लिख डालूं, तुम्हें लैला, तुम्हें शीरी, तुम्ही काे हीर लिख डालूं’, सुरेंद्र पांडेय साैरभ ने ‘जाे गमे हबीब काे पा गये, वाे गमाें से हंसके निकल गये’ और राजीव रंजन ने ‘इन्हाेंने जान लिया है, उजले रंग की ताकत काे,
इन्हाेंने जान लिया है, उजले कपड़े के अंदर ही दबी है सारी शक्तियां, विचार, ज्ञान-विज्ञान यहां तक कि धर्म भी’ कविता सुना कर मौजूदा हालात बयान किया.इससे पहले साहित्य महापरिषद द्वारा 14 मई काे प्रस्तावित महा अधिवेशन पर कार्यसमिति में विस्तृत चर्चा की गयी. राष्ट्रीय स्तर पर अपनी पहचान बना चुके दाे साहित्यकार व पत्रकारिता में उत्कृष्ट कार्य करनेवाले दाे पत्रकार काे सम्मानित करने का निर्णय लिया गया. महाधिवेशन का स्वागताध्यक्ष सर्वसम्मति से सरवर खां काे बनाया गया है. इस माैके पर डॉ सच्चिदानंद प्रेमी, गजेंद्र लाल अधीर, बुलाकी साव, रितेश, पीयूष राज समेत अन्य मौजूद थे.