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ANMMCH के बर्न आइसीयू में नहीं होता स्टैंडर्ड प्रोटोकॉल का पालन, जलन होने पर पंखे का सहारा

गया के ANMMCH बर्न आइसीयू में महीनों से एसी बंद होने की वजह से मरीजों को इन्फेक्शन का खतरा बढ़ गया है. वार्ड की हालत जर्जर होने की वजह से आइसीयू में कुछ ही जले मरीजों की बच पाती है जान

गया के अनुग्रह नारायण मगध मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल (ANMMCH) स्थित बर्न वार्ड में कई महीनों से एसी बंद है. यहां दीवारों पर फंगस की भरमार है. साथ ही बिना किसी रोक-टोक के प्रोटोकॉल के पालन किये बगैर मरीजों के बेड पर बैठने की छूट है. यहां खिड़की टूटी रहने के चलते पीछे की नाली की दुर्गंध परेशान करती है. इसे बर्न आइसीयू के नाम से भी जाना जाता है. यहां की स्थिति पूरी तरह खराब है.

बुधवार को यहां सात मरीजों को भर्ती कर इलाज किया जा रहा था. मरीज के पास बेड पर व नीचे परिजन बैठे हुए नजर आये. प्रमंडल का सबसे बड़ा हॉस्पिटल होने के चलते यहां पर हर दिन एक-दो मरीज बर्न से संबंधित आ ही जाते हैं.

अस्पताल सूत्रों का कहना है कि यहां पर बर्न के मरीज बहुत कम ही बच पाते हैं. यहां पर सबसे अधिक मौत इन्फेक्शन के कारण होती है. परिजनों ने बताया कि यहां पर ढंग से देखभाल ही नहीं की जाती है. वार्ड की हालत जर्जर है. दिन-रात मरीज को जलन दूर करने के लिए पंखा देना पड़ता है.

इधर, इंचार्ज नर्स ने बताया कि कई बार एसी बनाने व वार्ड की हालत खराब होने की सूचना अधीक्षक कार्यालय व स्टोर को दी गयी है. इसके बाद भी कोई सुधार नहीं हो सका है. अस्पताल के ही एक डॉक्टर ने बताया कि यहां पर मरीज ठीक होने के बजाय और अधिक इन्फेक्शन से पीड़ित हो जाते हैं.

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Anmmch के बर्न आइसीयू में नहीं होता स्टैंडर्ड प्रोटोकॉल का पालन, जलन होने पर पंखे का सहारा 2

बर्न आइसीयू के लिए जरूरी

  • वार्ड में एसी हो, फंगस नहीं हो
  • आने-जाने में सफाई रखना है.स्टेरलाइजेशन मेंटेन करना है.
  • मॉस्किटोनेट का इस्तेमाल जरूरी होता है.साफ-सफाई बेहतर किस्म का हो
  • नर्सिंग वर्किंग स्टेशन किनारे होना चाहिएचार्ट मेंटेन रहना चाहिए
  • हर वक्त डॉक्टर रहना चाहिएवार्ड में थोड़ा भी मोस्चर नहीं होना चाहिए

क्या कहते हैं अधीक्षक

बर्न आइसीयू में एसी खराब होने की सूचना मिली है. एसी बनाने का निर्देश दे दिया गया है. जगह कम होने के कारण पहले से चल रहे इस बर्न आइसीयू को ही चलाया जा रहा है. हालांकि, इसमें सुधार करने के लिए हर संभव प्रयास किया जा रहा है. मरीज को बचाने के लिए परिजन को भी थोड़ा साफ-सफाई के साथ वार्ड में आना-जाना होगा.

डॉ विनोद शंकर सिंह, अधीक्षक, एएनएमएमसीएच

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