14.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

ANMMCH: मरने के बाद कफन में भी कंजूसी, जानें कैसे होता है यहां लावारिस शवों का अंतिम संस्कार

गया के एएनएमएमसीएच में लावारिश शवों को देखनेवाला कोई नहीं है. अगर किसी का शव वहां पहुंच जाये तो पुलिस को पोस्टमार्टम से लेकर अंतिम संस्कार तक में कई तरह की दिक्कतें आती हैं.

ANMMCH: गया. एएनएमएमसीएच मगध प्रमंडल का सबसे बड़ा अस्पताल है. यहां पर आसपास के जिलों के अलावा झारखंड के सीमावर्ती इलाकों से मरीज इलाज कराने ओपीडी या इमरजेंसी में पहुंचते हैं. इलाज के दौरान किसी लावारिस की मौत हो जाये, तो उसके अंतिम संस्कार के लिए यहां के कर्मियों को पुलिस का चिरौरी करना पड़ता है. ऐसे समय पर सूचना नहीं देने में अस्पताल की ओर से भी लापरवाही बरती जाती है. पुलिस प्रशासन की ओर से देर-सवेर होना आम बात माना जाता है. नियम के अनुसार, लावारिस शव को पहचान के लिए पोस्टमार्टम के बाद 72 घंटे तक सुरक्षित रखा जाता है. इलाज के दौरान किसी की मौत हो जाती है और उसके परिजन चाहते हैं कि मृतक का अंतिम संस्कार जल्द कर दिया जाये, तो पुलिस को सूचना देने में यहां कई घंटे का समय लगाया जाता है. पुलिस को सूचना देने पर दो-तीन घंटे बाद पुलिस यहां पहुंचती है.

कर्मचारी मांगते हैं पैसा

पोस्टमार्टम हाउस पहुंचने पर यहां के कर्मचारी पैसा मांगते हैं. पैसा नहीं देने पर कई बार परिजनों के साथ झंझट भी होता है. किसी तरह पोस्टमार्टम हो गया, तो शववाहन मिलने में घंटों लगता है. अस्पताल सूत्रों का कहना है कि अस्पताल से कफन देने में भी कंजूसी की जाती है. कफन भी ढंग का नहीं होता जिससे मरीज को ढका जा सके. यहां से कफन पारदर्शी दिया जाता है. एक परिजन ने कफन देते वक्त साफ कहा कि इलाज तो किसी तरह किये. मरने के बाद शव को चैन लेने के लिए भी ढंग का कफन दे दें. ताकि, शरीर का अंग नहीं दिखे. इस तरह के कफन देकर शव का भी तौहिन ही कर रहे हैं.

पहले भी लापरवाही हो चुकी है उजागर

पहले यहां इमरजेंसी में रखे शव का नाक व होठ चूहों के कुतरने का मामला उजागर हो चुका है. इस मामले में भी जांच के नाम पर सिर्फ खानापूर्ति की गयी. इतना ही नहीं पहले यहां मर्चरी में 10 दिनों तक एक लड़की का शव रख कर सड़ाने का मामला भी सामने आ चुका है. इसके बाद भी यहां सतर्क नहीं की कोशिश नहीं की जा रही है. लाश को बिना वाहन के ठेला पर शव ले जाने का मामला कई बार सामने आया है.

यह है हाल का मामला

मुफस्सिल थाना क्षेत्र से पांच दिन पहले एक महिला व तीन बच्चों को जहर खाने के शक पर यहां भर्ती कराया गया. इलाज के दौरान दो दिन बाद एक बच्चे तीन वर्षीय सागर कुमार की मौत हो गयी. इसके बाद सागर के शव को यहां के मर्चरी में रख दिया गया. अस्पताल कर्मियों का कहना है कि बार-बार परिजन शव मांगने आ रहे थे. लेकिन, पुलिस सूचना देने के बाद भी नहीं पहुंच रही थी. शव का पोस्टमार्टम जरूरी था. इस कारण शव को नहीं सौंपा गया. मर्चरी में दो दिन तक शव को रखने के बाद रविवार को दोपहर बाद पुलिस के मौजूदगी में पोस्टमार्टम कराया गया. उसके बाद शव परिजन को सौंप दिया गया. जबकि, नियम है कि परिजन हैं, तो मौत की सूचना पुलिस को देने के बाद शव को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया जाना है. वहां पुलिस पहुंच कर सारी प्रक्रिया पूरी करेगी. परिजन ने बताया कि यहां से थाना भेजा जा रहा था वहां कोई सुनने वाला नहीं था.

Also Read: Lok Sabha Election: लालू-राबड़ी राज पर नीतीश कुमार का हमला, बोले- पहले केवल हिंदू-मुस्लिम का झगड़ा होता था

व्यवस्था में सुधार के लिए दिए गये जरूरी निर्देश

इमरजेंसी या फिर कहीं भी मरीज भर्ती होते समय अगर अज्ञात रहता है, तो उस पर ध्यान देकर कोशिश की जायेगी इसके परिजन को खोजा जाये. इसके लिए जरूरी प्रक्रियाओं को इस्तेमाल किया जायेगा. उन्होंने कहा कि इसके लिए संबंधित सभी कर्मचारियों को निर्देश दिया गया है. मर्चरी में शव रखने पर निगरानी के लिए पहले ही आदेश जारी किये गये हैं. अस्पताल में इलाज के दौरान या फिर पहुंचने से पहले मृतक को कफन हर हाल में देना है.

-डॉ एनके पासवान, अस्पताल उपाधीक्षक

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें