गया में ANMMCH के विद्यार्थियों ने काटा बवाल, ओपीडी कराया बंद, ऑफिस की काटी लाइट

अनुग्रह नारायण मगध मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल के छात्रों ने सोमवार को अस्पताल में जमकर बवाल काटा. विद्यार्थियों को उग्र देख अस्पताल कर्मचारी भी काउंटर छोड़ हट गए. इस वजह से मरीज व परिजन रहे हलकान

By Anand Shekhar | May 27, 2024 8:55 PM

गया के अनुग्रह नारायण मगध मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल (ANMMCH) के हॉस्टल में तीन दिनों से बिजली व पानी बंद है. कई बार प्राचार्य व अधीक्षक को सूचना देने के बाद भी व्यवस्था को बहाल नहीं किया गया. इससे गुस्साये छात्र-छात्राएं सोमवार को 10 बजे से ही बिजली-पानी बहाल करने की मांग को लेकर आंदोलन पर उतर आये. सबसे पहले विद्यार्थियों ने अधीक्षक कार्यालय, उपाधीक्षक कार्यालय, कर्मचारियों के कार्यालय की बिजली ठप कर दी.

ANMMCH उपाधीक्षक डॉ एनके पासवान से कोई स्पष्ट आश्वासन नहीं मिलने पर विद्यार्थी ओपीडी बंद कराने के लिए रजिस्ट्रेशन काउंटर पर पहुंच गये. यहां कर्मचारियों से विद्यार्थियों ने कहा कि बिजली-पानी हॉस्टल में बहाल नहीं होने तक ओपीडी सेवा बंद रहेगी. कर्मचारी वहां से काउंटर छोड़ कर हट गये. इसके बाद छात्र-छात्राएं सभी विभाग के ओपीडी पहुंचे. वहां ओपीडी को बंद करा दिया. कई विभाग के डॉक्टर भी छात्र-छात्राओं के उग्र रूप को देख मरीज देखना बंद कर चेंबर से चले गये.

आठ बजे ओपीडी खुलने के बाद दो घंटे तक ओपीडी चला. हर विभाग में डॉक्टर मरीज को देखना शुरू ही किये थे कि कुछ देर बाद ही हंगामा शुरू हो गया. उग्र छात्रों ने कहा कि बिजली-पानी के बिना रहना संभव नहीं है. यहां पर एसी में सभी रह रहे हैं और हॉस्टल में बिजली-पानी बंद है. इस पर कोई संज्ञान ही नहीं ले रहा है. अजीज होकर आंदोलन का रुख अख्तियार करना पड़ा है. 

ANMMCH ओपीडी काउंटर बंद कर हट गये कर्मचारी

छात्र-छात्राओं का उग्र रूप देख ओपीडी काउंटर तैनात ऑपरेटर तुरंत ही पर्ची काटना बंद कर अन्यत्र चले गये. इसके बाद कुछ देर के लिए मरीज व परिजन भी उग्र होकर हंगामा करने लगे. लोगों का कहना था कि इतनी भीड़ में नंबर का इंतजार कर रहे थे. अब काउंटर को बंद कर दिया गया है. इस हालत में इलाज कैसे करा सकेंगे. हर दिन यहां ओपीडी में 1500 से अधिक मरीज विभिन्न विभागों में डॉक्टर को दिखाने पहुंचते हैं. सबसे अधिक परेशान दूर-दराज से आये मरीज व परिजन दिखे.

ओपीडी में परेशान दिखे मरीज

प्रमंडल व सीमावर्ती झारखंड के इलाके से ओपीडी में मरीज को दिखाने लोग पहुंचते हैं. इसमें ज्यादातर गरीब तबके के हैं. जिले के कई ऐसे इलाके हैं, जहां से मरीज व परिजन को अस्पताल तक पहुंचने में एक हजार से अधिक खर्च हो जाते हैं. बिना इलाज के वापस जाना और दोबारा अस्पताल फिर से आना उनके लिए संभव ही नहीं है. डुमरिया से बहन की सर्जरी विभाग में दिखाने आये रामविलास प्रसाद ने कहा कि कर्ज लेकर बहन का इलाज कराने पहुंचे हैं. इसके बाद अब फिर से यहां आने के लिए कर्ज लेना पड़ेगा. अब दोबारा आना उनके लिए संभव ही नहीं है.

गुरुआ से अपने पोते के साथ इलाज कराने पहुंची वृद्ध महिला कांति देवी ने कहा कि बंद करना है, तो यहां मरीजों को क्यों परेशान किया जा रहा है. यहां पर आये लोगों को कम-से-कम देख लिया जाता. चेरकी से बेटी का इलाज कराने पहुंची चिंता देवी कहती है कि डॉक्टर से एक दिन दिखा कर गयी थी. आज ही उन्हें प्लास्टर के लिए बुलाया गया था. अब ओपीडी बंद होने के चलते पर्ची भी नहीं कट सकी है. इस तरह का दर्द लगभग मरीज व परिजनों ने बखान किया. 

पानी के लिए लगानी पड़ रही लाइन

ANMMCH के ओपीडी में पर्ची कटना बंद होने के बाद कई मरीज व परिजन आशा में बैठे रहे कि शायद काउंटर कुछ देर में खोल दिया जायेगा. आसपास के मरीज व उनके परिजन चले गये. लेकिन, दूर-दराज से आये मरीज को आशा थी कि फिर काउंटर खोला जायेगा. मरीप व परिजनों की संख्या एक जगह अधिक रहने के चलते पानी की किल्लत भी देखने को मिली. ओपीडी के पास लगे वाटर कूलर से हंगामा के बाद पानी की पूर्ति भी मरीज व परिजनों के लिए नहीं हो पा रही थी. मरीज व परिजन दोनों ही लाइन लगाकर पानी पी रहे थे. 

इमरजेंसी में बढ़ी मरीजों की संख्या

दूर-दाराज से मरीज अस्पताल के इमरजेंसी में करीब 50 की संख्या में दिखाने पहुंच गये. इमरजेंसी में पहले से ही मरीजों की संख्या अधिक थी. ओपीडी से मरीज पहुंचने पर यहां अफरा-तफरी का माहौल कायम हो गया. स्थिति को संभालने पर अस्पताल प्रबंधक नीजर कुमार सिंह, सिस्टर इंचार्ज शिवानी प्रीति के साथ लगभग डॉक्टर लग गये. कुछ मरीज को ओपीडी के लायक होने के चलते उनका इलाज नहीं किया जा सका. 

ऑफिस में भी नहीं हो सका काम

ऑफिस का समय शुरू होते ही कुछ कर्मचारी ही पहुंचे थे. इस बीच छात्र-छात्राओं ने पहुंच कर लाइन को बंद कर दिया. यहां पहुंच रहे कर्मचारी ऑफिस के अंदर तक नहीं जा सके. एकदम अंधेरा के चलते कुछ दिख भी नहीं रहा था. सभी कर्मचारियों ने ऑफिस के पीछे पार्किंग में गाड़ियों पर कई घंटों तक बैठ कर समय बिताया.

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