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1350 किमी साइकिल चला कर दिव्यांग मामा को फरीदाबाद से गया ले आया बब्लू

दरभंगा की ज्योति की तरह ही आमस के ग्राम झरी टोला थाड़ही निवासी 22 वर्षीय बब्लू ने अपने बुलंद हौसलों के बदौलत इतिहास रच दिया. उसने 1350 किमी साइकिल चला कर अपने दिव्यांग मामा को फरीदाबाद से गया ले आया. बब्लू चार सालों से फरीदाबाद के बल्लभगढ़ के लोहा फैक्ट्री में काम करता है.

आमस (गया) : दरभंगा की ज्योति की तरह ही आमस के ग्राम झरी टोला थाड़ही निवासी 22 वर्षीय बब्लू ने अपने बुलंद हौसलों के बदौलत इतिहास रच दिया. उसने 1350 किमी साइकिल चला कर अपने दिव्यांग मामा को फरीदाबाद से गया ले आया. बब्लू चार सालों से फरीदाबाद के बल्लभगढ़ के लोहा फैक्ट्री में काम करता है.

कुछ दूरी पर दिव्यांग मामा सत्येंद्र यादव भी रबर फैक्ट्री में काम करते थे. सत्येंद्र आमस थाना क्षेत्र की महुआवां पंचायत अंतर्गत प्राणपुर गांव के रहनेवाले हैं. लॉकडाउन से सिर्फ एक माह पहले काम करने फरीदाबाद गये थे. बब्लू ने बताया कि अचानक लॉकडाउन से काफी परेशानी बढ़ गयी. एक महीने तक किसी तरह झेलते रहे.

लेकिन, जब हालत दयनीय हो गयी, तो प्रशासन के हेल्पलाइन नंबर पर कॉल किया लेकिन राशन नहीं मिला. अंत मे दो हजार रुपये में पुरानी साइकिल खरीद कर घर के लिए मामा के साथ निकल पड़े. सत्येंद्र यादव ने अपने भांजे बब्लू का शुक्रिया अदा करते हुए कहा कि रास्ते में पुलिस बार-बार कहती थी कि जहां से आये हो वहां वापस जाओ. दो लोगों को एक साइकिल पर देख कर पुलिस बहुत तंग करती थी.

आठ दिनों में पहुंचा घररोज 170 किमी साइकिल चला कर बब्लू आठ दिनों में पहुंचा है. उसने बताया कि इस दौरान कई जगहों पर पुलिस के डंडे भी खाने पड़े. पुलिस के भय से कहीं कहीं गांव के रास्ते से जाना पड़ता था.

इसमें करीब 200 किलोमीटर एक्स्ट्रा साइकिल चलानी पड़ी. किसी-किसी जगह साइकिल को कंधे पर भी उठाना पड़ा. वाराणसी और इलाहाबाद में साइकिल अचानक खराब होने से गिर पड़े. मामा के पैर बैठे-बैठे सूज गये थे. दो दिनों तक भूखे रह कर साइकिल चलाना पड़ा.

Posted By : Shaurya Punj

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