बाराचट्टी. मोहनपुर प्रखंड की डेमा पंचायत के बाबूरामबीघा गांव को अब भी सड़क का इंतजार है. गांव में अब तक सड़क न बन पाने के कारण 70 घरों की आबादी काफी परेशान है. ग्रामीणों का कहना है कि सड़क न बन पाने के कारण जुलाई से लेकर अक्टूबर तक काफी परेशानियां उठानी पड़ती है. बारिश हो जाने के बाद सड़क पर पैदल चलना भी मुश्किल भरा काम हो जाता है. पैदल चलने के दौरान फिसलन होती है जिस कारण अगल-बगल खोदे गये पइन में गिरने की आशंका बनी रहती है. मोहनपुर प्रखंड मुख्यालय से लगभग 10 किलोमीटर की दूरी पर बाबूरामबीघा गांव है. इस गांव तक पहुंचने के लिए राजबर मोड़ से अंदर आना पड़ता है. एक किलोमीटर लंबी सड़क पर आज तक मोरम का भी काम नहीं हुआ. हल्की बरसात में भी सड़क पूरी तरह कीचड़मय हो जाती है. गांव के प्राथमिक विद्यालय में भी बच्चों को आने-जाने के दौरान काफी परेशानियां उठानी पड़ती हैं. विद्यालय की शिक्षक सीमा कुमारी का कहना है कि वर्षा ऋतु के दिनों में पानी हो जाने के बाद कीचड़ भरी सड़क पर चलना बच्चों के लिए काफी मुसीबत हो जाता है. इस कारण उपस्थिति भी प्रभावित होती है. ग्रामीणों का कहना है की सबसे ज्यादा परेशानी रात्रि में किसी की तबीयत खराब हो जाने के बाद उठानी पड़ती है. उन्हें खाट पर लाकर अस्पताल ले जाना पड़ता है. ग्रामीणों का कहना है कि नेताओं ने चुनाव के दौरान गांव को पक्की सड़क से जोड़ने का कई बार आश्वासन दिया, लेकिन दावा झूठा साबित हुआ. इस बात को लेकर ग्रामीणों में खासी नाराजगी है. लोगों में उम्मीद की किरण गया के सांसद सह केंद्रीय मंत्री जीतन राम मांझी से है. बहरहाल बाबूरामबीघा पक्की सड़क से कब जुड़ेगा, यह एक बहुत बड़ा सवाल है जो स्थानीय लोगों के बीच में कौंध रहा है. आजादी के सात दशक गुजर जाने के बाद भी पक्की सड़क का न बन पाना लोगों के लिए परेशानियों का सबब है.
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